Avoid dengue malaria in hindi

डेंगू, मलेरिया,चिकनगुनिया से बचने के उपाय(Avoid dengue malaria in hindi )

आसान आयुर्वेदिक उपाय-Avoid dengue malaria in hindi

Avoid dengue malaria in hindi -स्वास्थ्यस्य स्वस्थ्य रक्षम्।
देश के अधिकांश भागों में मौसमी बीमारियाँ फैल रही है। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, स्क्रब टायफस, आदि का कहर जारी है।

इन के बचाव के लिए कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ अपने निकटतम आयुर्वेद चिकित्सक की देख -रेख में सेवन कर इन बीमारियों से बचा जा सकता हैं।

A.
1.महारास्नादि क्वाथ।
2.दशमूल क्वाथ।
3.गोजिह्वादि क्वाथ।

तीनों को समान मात्रा में मिलाकर रख लेवे।

ये क्वाथ आयुर्वेदिक दवाइयों के स्टोर पर आसानी से मिल जाते हैं,

इस संमिश्रण मे से 5ग्राम (एक टी स्पून ) लेकर उसमें,

एक लौंग,एक इलायची, दो कालीमिर्च, एक छोटा टुकडा अदरक, गिलोय की टहनी (लगभग 6 सेमी.), को 200एम. एल. पानी में उबाल कर आधा शेष रहने पर छान कर पीवे।

स्वाद के लिए थोड़ी मिश्री डाल सकते हैं। इस क्वाथ को दिन में दोबार बनाकर लेवें।

B.
1. नीम गिलोय की टहनी (लगभग 6 सेमी.)
2.पपीते के पत्ते का ताजा रस 10-10 एम. एल. निकाल कर छान कर पीवें।
C.
1. नीम के 2 – 4 पत्ते
2. तुलसी के 2- 4 पत्ते
3. 2ग्राम हल्दी पाउडर
4. अदरक की एक टुकड़ी।
5. पांच मुनक्का दाख
6. एक टुकड़ी गिलोय की टहनी (लगभग 6 सेमी.)

सभी द्रव्यो को कूट ले। सभी द्र्व्यो को 100 एम. एल. पानी में उबाल कर छान कर गुनगुना -गुनगुना पीवे। दिन में दो बार लेवें।

D.
1.पांच मुनक्का दाख:-
2.दो ग्राम सोंठ:-
3.दो कालीमिर्च:-
4.एक छोटी इलायची:-
5.दो ग्राम मिश्री:-

मुनक्का को कुछ समय भिगोकर बीज निकाल कर अन्य द्र्व्यो के साथ कूट कर 100 एम. एल. पानी में उबाल कर छानकर दिन में दो बार लेवें।

इन सभी प्रयोगों में से कोइ एक या दो प्रयोग योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की देख रेख में लेवें।

आयुर्वेदिक औषधियाँ योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ले सकते हैं।

इन औषधियों को चिकित्सक रोगी, रोग, वय, बल, के अनुसार निरधारित करता है साथ ही चिकित्सक द्वारा बताए पथ्य का सेवन करना आवश्यक हैं।

E.
1.संजीवनी वटी:-
2.आन्दभैरव रस:-
3.त्रिभुवनकीर्ती रस:-
4.हरिताल गोदन्ती भस्म:-
5. कस्तुरी भैरव रस:-
6.सर्व ज्वरहर लौह:-
7.गिलोय सत्व:-
8.पुट पक्व विषम ज्वरान्तक लौह:-
9.महासुदर्शन घन वटी:-
10. करंजादि वटी:-
11.संशमनी वटी:-

इनऔषधियों मे से कोइ एक या अधिक का मिश्रण आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श से मात्रा निरधारित करा कर विधिपूर्वक लेने से सभी ज्वरो का नाश होता है।

F.
ऐसे मौसम में खान पान मे भी सावधानी रखे।
सादा सुपाच्य भोजन करना चहिए।
ताजा फल ( चीकू ,पपीता ,अनार ,सेव,)
दूध अदरक ,इलायची,मुलेठी,आदि मे उबाल कर लेवे।
टिण्डे, तुरही, परवल, लौकी, आदि सब्जियाँ व मूंग की पतली दाल लेवें।
पानी उबाल कर ठण्डा कर पीवें।

G.
अपने आस पास के परिसर की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखे।
पानी इकठा नही होने देवें। मच्छरों से अपना बचाव करें।
H.
मच्छरों एवं अन्य कीटों से रक्षा के लिए
कपूर 5 ग्राम ,गुग्गुलु 20 ग्राम, लौहबाण 5 ग्राम,
नीम के पत्ते 100 ग्राम,
प्राकृतिक धूम(धूप) से परिसर को कीटणु रहित बनाया जा सकता है।
I.
रात सोते समय कपूर 5 ग्राम नीम तैल50 एम. एल. सरसों तैल 200 एम.एल. के सम्मिश्रण कर आवश्यकतानुसार शरीर पर लगाकर , मच्छरों से रक्षा की जा सकती है।
इस तरह से हमारी परम्परागत चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद से हम मौसमी बीमारियों से बचेंगे,एवं एलोपैथिक दवाइयों के दुष्प्रभाव से भी बचे रहेगे।
नोट:-मधुमेह के रोगी मिश्री एवं मुनक्का का प्रयोग नही करें।

“आयुर्वेद अपनाएं”।
“देश की हवा। देश की माटी।
देश की दवा। देश का पानी।”
वैद्य रवीन्द्र गौतम. 9414752038.
चिकित्साधिकारी
आयुर्वेद- विभाग ,राजस्थान- सरकार।

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