Makan ke malik kaise bane in hindi

मकान के मालिक कैसे बने (Makan ke malik kaise bane in hindi)

Makan ke malik kaise bane in hindi – आज में जो बात समझाना चाह रहा हूं यदि वह बात आपकी समझ में आ जाय तो आप अपनी प्रत्येक इच्छा पुरी कर सकते है।

प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसका एक अच्छा घर हो तथा घर में सभी भौतिक सुख-सुविधाएं विघमान हो परन्तु काफी लोग इस मुलभुत आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर सकते है।

एक अच्छा मकान उनका स्वप्न ही रह जाता है।

प्रत्येक व्यक्ति अपनी आय का 85 प्रतिशत पैसा अनावश्यक खर्च करता है मनुष्य की मूलभुत आवश्यकता है रोटी, कपड़ा व मकान

यदि मनुष्य अपनी मूलभुत आवश्यकताओं की पूर्ति अपने जीवन में न कर सके तो वह असफल कहलाता है।

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मेरे पिताजी अक्सर कहा करते थे बेटा यह जो पक्का घर बना है यह मेरे बीड़ी-सिगरेट के पैसो से बना है उस समय मुझे उनकी बात समझ में नहीं आती थी।

आजकल व्यक्ति अपने विघार्थी जीवन से ही बीड़ी-सिगरेट,पान,तंबाकु,गुटखा,शराब आदि व्यसनों की आदत डाल देता है यह व्यसन उसकी उम्र कम करते है तथा बीमारी होने पर कम उम्र में ही वह दुनियां छोड़ जाता है।

मेरे पिताजी जितना पैसा बीड़ी-सिगरेट में प्रत्येक दिन खर्च होता है उतना बचत कर महीने के अंत में उसे बैंक में जमा करवा देते थे।

यह छोटी-छोटी बचत अंत में एक बड़ी बचत बन जाती है तथा व्यक्ति की सभी आवश्यकताएं पुरी हो जाती है।

पैसो का व्यर्थ खर्च मन करो-Makan ke malik kaise bane in hindi

यदि आप रोज 5 रू की तम्बाकु खाते हो तो एक महीने में 150 रू तम्बाकु पर व्यय करते हो एक वर्ष में आप 1800 रू तथा 45 वर्ष की उम्र तक आप 81000 रू तम्बाकु पर खर्च कर डालते हो

यदि इस पैसो की अर्थात 150 रू महीने की आप बैंक में आर.डी.करवा दो तथा आर.डी.पूर्ण होने पर उसकी एफ.डी.करवा दो। तथा नई आर.डी. चालु रखो उसे पूर्ण होने पर उसकी भी एफ.डी.करवा दो

अर्थात उस पैसो का खर्च न करो तथा निवेश करते जाओ तो उस पैसे से आप अपना आशियाना बना सकते है उतनी रकम जमा हो जायेगी तथा आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा तथा ईलाज में भी होने वाला खर्च बच जायेगा।

यदि आपकी मूलभुत आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पा रही है तो उसके जिम्मेदार आप स्वयं है। ईश्वर ने आपको इस धरती पर भेजा है तथा सुखी-संपन्न रहने के लिए भेजा है परन्तु आप नशे में अपना मकान उड़ा देते है तथा ईश्वर को दोष देते है।

मैंने तो केवल तम्बाकू पर खर्च होने वाले 5 रू.का उदाहरण दिया है व्यक्ति तो बीड़ी पर 16 रू प्रतिदिन,हुक्के पर 50 रू प्रतिदिन,सिगरेट पर 80 रू प्रतिदिन,पान,देसी शराब,बीयर,अंग्रेजी शराब पर न जाने कितने ही पैसे खर्च कर देता है

तथा अपने साथी को अच्छे मकान,कार मेन्टेन करते व सुखी सम्पन्न देखकर अपने भाग्य को तथा ईश्वर को दोष देता है कि उसने उसे अच्छा मकान क्यों नहीं दिया।

ईश्वर ने तो आपको ईतना पैसा दिया कि आप अच्छे मकान में रह सको। परन्तु उस पैसे को आपने नशे में उड़ा दिया।

कर्म आपने गलत किया व आप ईश्वर को दोष देते हो यह गलत है मैने पहले लेख में लिखा है कि व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है

आपके खुद के कर्म ही सुख व दुख के लिए उत्तरदायी है कर्म गलत करते हो परन्तु जब उसका फल मिलता है तब क्यों चिल्लाते हो।

धनवान बनना है तो बचत की आदत आज से ही डाल दो।

नशा यदि करते हो तो नशे को बंद करके उसकी राशि को जमा करते जाओं मै तुमको पुरा विश्वास देता हूं कि आपको कोई असफल नहीं कहेगा

क्योंकि आपके पास अच्छा मकान,कार आदि सभी सुख सुविधाएं होंगी।

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