चाणक्य नीति: अगर होना चाहते है सफल तो आपको आने चाहिए इन 6 प्रश्नों के उत्तर

दोस्तों आज हर कोई सफल होना चाहता है ओर उसके लिए वो कुथकुछ भी करने को तैयार है…

आज हम आपको वो 6 प्रश्नों के उत्तर बताएंगे जो चाणक्य ने बताएं है जिसे अगर आप ध्यान रखेंगे तो आपको असफलता मिलने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।

चाणक्य कहते हैं कि-
क: काल: कानि मित्राणि को देश: कौ व्ययागमौ।
कस्याऽडं का च मे शक्तिरिति चिन्त्यं मुहुर्मुंहु:।।

अर्थः- इस श्लोक में चाणक्य ने बताया है कि हमें कार्यों में सफलता पाने के लिए किन 6 बातों को हमेशा सोचते रहना चाहिए।

इन बातों का ध्यान रखकर काम करेंगे तो असफलता मिलने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।

(1) हमारी मित्रता किनसे हैं-
हमें यह मालूम होना चाहिए कि हमारे सच्चे मित्र कौन-कौन हैं और मित्रों के वेश में शत्रु कौन-कौन हैं।

शत्रुओं को तो हम जानते हैं और उनसे बचते हुए ही कार्य करते हैं, लेकिन मित्रों के वेश में छिपे शत्रु को पहचानना बहुत जरूरी है।

यदि मित्रों में छिपे शत्रु को नहीं पहचान पाएंगे तो कार्यों में असफलता ही मिलेगी। ऐसे लोगों से भी बचना चाहिए।

साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि सच्चे मित्र कौन हैं, क्योंकि सच्चे मित्रों की मदद लेने पर ही सफलता मिल सकती है।

यदि गलती से मित्र बने हुए शत्रु से मदद मांग ली तो पूरी मेहनत पर पानी फिर सकता है।

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(2) हम किसके अधीन हैं-
हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारा प्रबंधक, कंपनी, संस्थान या बॉस हमसे क्या चाहता है।

हम ठीक वैसे ही काम करें, जिससे संस्थान को लाभ मिलता है। यदि संस्थान को लाभ होगा तो कर्मचारी को भी लाभ मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

(3) हम किस देश में है-
यानी जहां हम काम करते हैं, वह स्थान, शहर और वहां के हालात कैसे हैं। कार्यस्थल पर काम करने वाले लोग कैसे हैं।

इन बातों का ध्यान रखते हुए काम करेंगे तो असफल होने की संभावनाएं बहुत कम हो जाएंगी।

(4) यह समय कैसा है –
समझदार व्यक्ति जानता है कि वर्तमान समय कैसा चल रहा है। अभी सुख के दिन हैं या दुख के। इसी के आधार पर वह कार्य करता हैं।

यदि सुख के दिन हैं तो अच्छे कार्य करते रहना चाहिए और यदि दुख के दिन हैं तो अच्छे कामों के साथ धैर्य बनाए रखना चाहिए।

दुख के दिनों में धैर्य खोने पर अनर्थ हो सकता है।

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(5) हमारी आय और व्यय की सही जानकारी-
समझदार इंसान वही है तो अपनी आय और व्यय की सही जानकारी रखता है। व्यक्ति को अपनी आय देखकर ही व्यय करना चाहिए।

जो लोग आय से अधिक खर्च करते हैं, वे परेशानियों में अवश्य फंसते हैं। अत: धन संबंधी सुख पाने के लिए कभी आय से अधिक व्यय नहीं करना चाहिए।

आय से कम खर्च करेंगे तो थोड़ा-थोड़ा ही सही पर धन संचय हो सकता है।

(6) मुझमें कितनी शक्ति है-
अंतिम बात सबसे जरूरी है, हमें यह मालूम होना चाहिए कि हम क्या-क्या कर सकते हैं।

वही काम हाथ में लेना चाहिए, जिसे पूरा करने का सामर्थ्य हमारे पास है।

यदि शक्ति से अधिक काम हम हाथ में ले लेंगे तो असफल होना तय है। ऐसी परिस्थिति में कार्य स्थल और समाज में हमारी छबि पर बुरा असर होगा।

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