अर्जुन रथ के पिछले भाग में क्यों चले गए ? अध्याय प्रथम का अंतिम श्लोक 47 सञ्जय उवाच एवमुक्त्वाऽर्जुनः संख्ये रथोपस्थ उपाविशत्। विसृज्य सशरं चापं

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क्या अर्जुन का युद्ध करने से मना करने का निर्णय सही था ? श्लोक 45 से 46 अहो बत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम्। यद्राज्यसुखलोभेन हन्तुं

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