श्लोक 38 से 39 टकराव की स्थिति में क्या समझदार व्यक्ति को भाग जाना चाहिए ? यद्यप्येते न पश्यन्ति लोभोपहतचेतसः। कुलक्षयकृतं दोषं मित्रद्रोहे च पातकम्।।38।।

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