bhagwad gita jivandarshan

श्रीमद् भगवद्गीता – द्वितीय अध्याय श्लोक – 10 व 11 तमुवाच हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत। सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदन्तमिदं वचः।।2.10।। अर्थः- हे भरतवंशी धृतराष्ट्र ! अन्तर्यामी श्री कृष्ण

Read More
shrimad bhagwat gita adhyay 2 shlok 8,9

श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय द्वितीय – श्लोक 8 व 9 श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय द्वितीय – श्लोक 8 व 9न हि प्रपश्यामि ममापनुद्याद्यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम्।अवाप्य भूमावसपत्नमृद्धम्राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम्।।2.8।।अर्थः- भुमि

Read More
shrimad bhagwatgeeta adhyay 2 shlok 6 jivandarshan

श्रीमद्भगवद्गीता – द्वितीय अध्याय – श्लोक 6 न चैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयो यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयुः। यानेव हत्वा न जिजीविषाम स्तेऽवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः।।2.6।। अर्थः-

Read More
shrimad bhagwatgeeta dwitiya adhyay jivandarshan

श्रीमद्भगवद्गीता – द्वितीय अध्याय :- श्लोक 4 व 5 अर्जुन उवाच कथं भीष्ममहं संख्ये द्रोणं च मधुसूदन। इषुभिः प्रतियोत्स्यामि पूजार्हावरिसूदन।।2.4।। अर्थः- अर्जुन बोले – हे

Read More
Pitro ki mukti ke liye kya kare jivandarshan

श्रीमद् भगवद्गीता अध्याय प्रथम श्लोक 41 से 42 पितरों की मुक्ति के लिए क्या करे ? अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः। स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसङ्करः।।41।। अर्थः-

Read More