श्रीमद् भगवत् गीता प्रथम अध्याय प्रथम अध्याय – श्लोक 4 से 10“अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि |युयुधानो विराटश्र्च द्रुपदश्र्च महारथ: ||4||धृष्टकेतुश्चेकितान: काशिराजश्र्च वीर्यवान् |पुरूजित्कुन्तिभोजश्र्च शैब्यश्र्च

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