अनहद नाद को कैसे सुने ?-anahat naad anahat naad-नाद को किसी भी अवस्था में अर्थात कुर्सी पर बैठकर, चलते-फिरते,पालथीमार बैठकर तथा सोते-सोते किसी भी स्थति
Category: अनहद नाद
मुसलमान फ़कीर इसे अनहद कहते है अर्थात एक कभी न खत्म होने वाला कलाम(ध्वनि) जो फ़ना(नश्वर) होने वाली नहीं है।
सदगुरूओं ने कहा है कि अनहद शब्द के अन्दर प्रकाश है और उससे ध्वनि उत्पन्न होती है यह ध्वनि नित्य होती रहती है प्रत्येक के अन्दर यह ध्वनि निरन्तर हो रही है अपने चित्त को नौ द्वारो से हटाकर दसवे द्वार पर लगाया जाय तो यह नाद सुनायी दोता है।