ॐ जय श्री श्याम हरे,बाबा जय श्री श्याम हरे ।खाटू धाम विराजत,अनुपम रूप धरे॥ॐ जय श्री श्याम हरे,बाबा जय श्री श्याम हरे । रतन जड़ित
Category: आध्यात्मिक विचार
परमात्मा कण–कण में है तो दोस्तों वो हर जगह व्याप्त है…आध्यात्मिक विचार पेज़ में हम आपको हर तरह की आध्यात्मिक बातों से रूबरू करवाएंगे ..और हमारे शास्त्रों का महत्व,आध्यात्मिक कहानियां ,सकारात्मक सोच,परमात्मा को प्राप्त करने की विधियां,चक्र शोधन, हीलिंग , रैकी ,मेडीटेशन कैसे करें …और भी बहुत से आध्यात्मिक विचार…..
![Shantakaram Bhujagashayanam Vishnu Stuti by jivandarshan](https://jivandarshan.com/wp-content/uploads/2024/03/Shantakaram-Bhujagashayanam-Vishnu-Stuti-by-jivandarshan.jpg)
॥ विष्णु स्तुति-शान्ताकारं मंत्र ॥ शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशंविश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् । लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यंवन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥ यं ब्रह्मा
![Om Jai Shiv Omkara-Shiv Aarti by jivandarshan](https://jivandarshan.com/wp-content/uploads/2024/03/Om-Jai-Shiv-Omkara-Shiv-Aarti-by-jivandarshan.jpg)
हिन्दू धर्म में संहार के देवता शिव की स्तुति है। इसकी रचना पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी ने थी।वास्तव में यह आरती त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, एवं शिव)
![Shiv Panchakshar Stotram hindi by jivandarshan](https://jivandarshan.com/wp-content/uploads/2024/03/Shiv-Panchakshar-Stotram-hindi-by-jivandarshan.jpg)
॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।नित्याय शुद्धाय दिगम्बरायतस्मै नकाराय नमः शिवायमन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चितायनन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजितायतस्मै मकाराय नमः शिवायशिवाय गौरीवदनाब्जबृंदासूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।गणनायकाय गणदेवताय: Ganeshji vandana (Gananaykay Gandevatay )श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजायतस्मै
![Ganesh ji vandana Gananaykay Gandevatay by jivandarshan](https://jivandarshan.com/wp-content/uploads/2024/02/Ganesh-ji-vandana-Gananaykay-Gandevatay-by-jivandarshan.jpg)
गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ।गुणशरीराय गुणमण्डिताय गुणेशानाय धीमहि ।गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥गानचतुराय गानप्राणाय गानान्तरात्मने,गानोत्सुकाय गानमत्ताय गानोत्सुकमनसे
![Kanakadhara Stotram by jivandarshan](https://jivandarshan.com/wp-content/uploads/2024/02/Kanakadhara-Stotram-by-jivandarshan.jpg)
कनकधारा स्त्रोत का नियमित पाठ करने से धन प्राप्ति होती है।अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्तीभृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् ।अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीलामाङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥१॥ मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेःप्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि ।माला
![Hanuman Ashtak by jivandarshan](https://jivandarshan.com/wp-content/uploads/2024/02/Hanuman-Ashtak-by-jivandarshan.jpg)
श्री हनुमान जी की पूजा आराधना में संकट मोचन हनुमान अष्टक का नियमित पाठ करने से जीवन में आयी बड़ी से बड़ी गंभीर समस्या का
![Shiv Chalisa lyrics in hindi by jivandarshan](https://jivandarshan.com/wp-content/uploads/2023/05/Shiv-Chalisa-lyrics-in-hindi-by-jivandarshan.jpg)
ॐ नमः शिवाय ,ॐ नमः शिवाय श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान कहत अयोध्यादास तुम, देहू अभय वरदान जय गिरिजा पति दिन दयाला सदा
![shree durga chalisa lyrics in Hindi by jivandarshan](https://jivandarshan.com/wp-content/uploads/2023/05/shree-durga-chalisa-lyrics-in-Hindi-by-jivandarshan.jpg)
नमो नमो दुर्गे सुख करनी नमो नमो अम्बे दुःख हरनी निरंकार है ज्योति तुम्हारी तिहूं लोक फैली उजियारी शशि ललाट मुख महाविशाला नेत्र लाल भृकुटि
![Shri Kuber ji ki Aarti hindi by jivandarshan](https://jivandarshan.com/wp-content/uploads/2021/10/Shri-Kuber-ji-ki-Aarti-hindi-by-jivandarshan.jpg)
जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी,हे समरथ परिपूरन ।हे समरथ परिपूरन । हे अन्तर्यामी ॥॥ ॐ जय कुबेर स्वामी ॥प्रभु जय कुबेर स्वामी.. जय
![Lakshmi maa ki aarti hindi by jivandarshan](https://jivandarshan.com/wp-content/uploads/2021/10/Lakshmi-maa-ki-aarti-hindi-by-jivandarshan.jpg)
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥ पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥ ॐ जय लक्ष्मी
![Devi kavach path in hindi by jivandarshan](https://jivandarshan.com/wp-content/uploads/2021/10/Devi-kavach-path-in-hindi-by-jivandarshan.jpg)
॥अथ श्री देव्याः कवचम्॥ ॐ अस्य श्रीचण्डीकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, चामुण्डा देवता, अङ्गन्यासोक्तमातरो बीजम्, दिग्बन्धदेवतास्तत्त्वम्, श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः। ॐ नमश्चण्डिकायै। ॥मार्कण्डेय उवाच॥ ॐ