राशि अक्षर :- क,का,कि, कु,के,को,घ,ड़,क्ष,छ,ह,हा
प्रकृति एंव स्वभाव : मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम 2 चरण आद्ररा नक्षत्र के 4 चरण तथा पुनर्वसु नक्षत्र के प्रथम 3 चरण आते है । इसका स्वामी बुध है ।
यह राशि पश्चिम दिशा की स्वामी है ।
इस राशि के जातक पित्त प्रकृति के,साहसी एवं कर्मठ,उत्साही,मृदुभाषी,दयालु ह्दय वाला,चतुरवाणी वाला ,भाषण एवं लेखन कार्य में बुद्धि से काम लेने वाला , प्रतिभाशाली ,पुरूषार्थी,कार्य सम्पादन में शीघ्रता करने वाला , कार्य मे निपुर्णता रखने वाला ,प्रसिद्धिपाने की इच्छा रखने वाला ,समपन्न बनने की इच्छा रखने वाला ,भावुक अर्थसम्पन्न ,कृपण स्वभाव का तथा विद्धान लोगो से सम्मान प्राप्त करने वाला होता है।
यह तेज दिमाग वाला ,किसी भी चीज़ की व्याख्या करने में कुशल तथा अपनी बात को दूसरों को आसानी से समझा सकते है ।किसी भी कार्य को यह लोगो के सहयोग से करता है । यह अस्थिर मन वाला होने से एक समय में भी बहुत से कार्य करने का प्रयत्न करता है।
जिससे कभी-कभी हानि भी उठानी पड़ती है । जातक भावुक ह्दय वाला होता है अत: अपने दुशमन को भी क्षमा कर देता है ये मन के साफ होते है । जिससे अपने गुप्त रहस्य लोगों के सामने प्रकट कर देता है । यह किसी भी बात में काफी सोच विचार के बाद निर्णय लेते है । क्योकिं इनमें तुरन्त निर्णय लेने की क्षमता का अभाव होता है ।
इनमें विपरीत लिंगी के प्रति तीव्र आकर्षण होता है स्त्रिया इनसे प्रभावित होती है यह जातक सबसे मित्रता आसानी से कर लेता है । यह प्रत्येक कार्य को नियम से करना चाहते है। ये मजबुत इच्छा शक्ति वाला ,संगीत व कला के क्षैत्र में रूचि रखने वाला ,नई-नई बातों की खोज करने वाला मित्र ,कलाकार व विद्धानों के प्रति आदर भाव रखता है। इन्हें परिवारजनो का स्नेह कम मिल पाता है । ये जहां भी रहते है वहां मित्र बना लेते है । संघर्ष भय इनका जीवन होता है ।
संघर्ष में ही प्रगति होती है ये हमेशा कोई न कोई बात सोचते रहता है । जातक पढ़ने लिखने के शौकिन होते है परन्तु शिक्षा सुव्यवस्थित ढ़ंग से नही होती इन्हें शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक भटकना पड़ता है ।
प्रत्येक कार्य को उत्साह व जोश से आरम्भ करते है परन्तु धीरे-धीरे जोश ठंडा हो जाता है ।यह सतर्क व गतिशील नेत्रों वाला ,सम्मोहक व्यक्तित्व वाले तथा प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करने की क्षमता होती है ।
- मिथुन राशि के व्यक्तियों को अपना जीवन सुखी, समृद्ध व शांति बनाने के लिए लाल किताब मे बताए गए निम्न उपाय करे :-
- हरे रंग की कॉच की बोतल में गंगाजल भरकर सुनसान जगह में धरती में दबाएं ।
- मिट्टी के बर्तन मे दुध भरकर किसी निर्जन स्थान पर धरती मे गाड़ दे ।
- मूंग भिगोकर कबुतरों को खाने को दे ।
- चावल तथा दुध धर्मस्थान पर चढाएं ।
- माता का पूजन करे तथा 12 वर्ष से छोटी कन्याओं का आशीर्वाद ले ।
- घर मे कोई भी बहन,बेटी,बुआ,मौसी या साली आए तो इसका दिल ना दुखाएं।
- स्नान के जल में फिटकरी डाल कर स्नान करे तथा फिटकरी से दांत साफ करे ।
- पीले फूलों वाले पौधे गृह-वाटिका में लगाए।
- चने की दाल भी दान करना शुभ रहता है ।
- चरित्र ठीक रखें ।
- प्रत्येक कार्य मीठा खाकर एवं जल पीकर करे ।
- मांस-मदिरा लहसुन आदि तामसिक भोजन का त्याग करे।
पशु-पक्षी न पाले तथा घर में मनीप्लांट नहीं लगाए , बेल्ट का प्रयोग नहीं करे । उत्तर दिशा की तरफ रिश्ते की बात नहीं करे ।