Ratna ki anguthi dharan kare hindi – जो ग्रह अत्यधिक प्रबल होता है वह अनुकूल होने पर जातक को निहाल कर देता है तथा वहीं ग्रह यदि प्रतिकुल हो तो बर्बाद कर देता है।
कब धारण करें रत्न की अंगुठी-Ratna ki anguthi dharan kare hindi
रत्न धारण करने में सर्वाधिक महत्व नक्षत्र को दिया जाता है। नश्रत्र के पहले चरण में रत्न खरीदा जाता है तथा दुसरे चरण में अंगुठी में जड़ाया जाता है तथा तीसरे चरण में धारण किया जाता है।
दुकानदार से रत्न खरीदते समय यदि रत्न हाथ से छुट जाए तो उसे शुभ समझना चाहिये।
रत्न यदि कोई उपहार में दे रहा हो तो मुफ्त में नहीं लेना चाहिये उसे कुछ भी मूल्य चुका देना चाहिये चाहे 1 रूपया ही दे दो ।
सड़क पर गिरा हुआ कोइ रत्न यदि मिले तो उसे बिना मूल्य चुकाये धारण नहीं करना चाहिये । यदि रत्न का मालिक नहीं मिले तो मन्दिर की दानपेटी में रत्न के बदले पैसा डालने के पश्चात् ही रत्न धारण करना चाहिये।
रत्न धारण करने से पूर्व रत्न को गाय के दुध में धोकर शुद्ध कर लेना चाहिये फिर धूप देकर रत्न के देवता से सम्बन्धित मंत्र जपकर रत्न को धारण करना चाहिये ।
सूर्य को बलवान करने के लिए माणिक्य,सोना या तांबा में जड़वाकर अनामिका अंगुली में धारण करे। माणिक्य धारण करने के लिए कृतिका , उत्तराफालगुनी,उत्तराषारा नक्षत्र ठीक है।
माणिक्य धारण करने के लिए अनुकूल वार रविवार तथा समय सूर्य की होरा में धारण करना चाहिये।
चन्द्रमा को बलवान करने के लिए मोती को चॉदी की अंगुठी में जडवाकर कनिष्ठिका अंगुली में सोमवार को चंद्र की होरा में धारण करना चाहिये। मोती धारण करने के लिए रोहिणी,हस्त व श्रवण नक्षत्र अनुकूल है।
मंगल का रत्न मूंगा तांबे या सोने में जडवाकर अनामिका अंगुली में मंगलवार को मंगल की होरा में धारण करना चाहिये।
मूंगा धारण करने के लिए मृगाशेरा,चित्रा व धनिष्ठा नक्षत्र अनुकूल है।
बुध का नंग पन्ना कॉसे या सोने में जड़वाकर कनिष्ठिका या अनामिका अंगुली में बुधवार को प्रातःकाल बुध की होरा में धारण करे। पन्ना धारण करने के लिए आश्लेषा ,जयेष्ठा व रेवती नक्षत्र अनुकूल है।
गुरू का नंग पुखराज सोने या पीत्तल में जडवाकर तर्जनी अंगुली में गुरूवार को गुरू की होरा में धारण करे। पुखराज धारण करने के लिए पुनर्वसु,विशाला,पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र अनुकूल है।
शुक्र अंगुली का नंग हीरा प्लेटीनम या चॉदी में जडवाकर कनिष्ठिका या मध्यमा अंगुठी में शुक्रवार को शुक्र की होरा में धारण करे हीरा धारण करने के लिए भरवी, पूर्वाफाल्गुनी,पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र अनुकूल है।
शनि का रत्न निलम को पंचधातु में जड़वाकर मध्यमा अंगुली में शनिवार को सूर्यास्तबाद धारण करें। निलम धारण करने के लिए पुष्य,अनुराधा, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र अनुकूल है।
राहु का रत्न गोमेद पंचधातु या अष्टधातु,लोहे या चॉदी में मध्यमा अंगुली में शनिवार को सुर्यास्त के बाद धारण करें। गोमेद धारण करने के लिए आर्द्रा,स्वाति,शतभिषा नक्षत्र अनुकूल है।
केतु रत्न लहसुनिया को धातु या चॉदी में जडवाकर कनिष्ठिका या मध्यमा अंगुली में मंदल या रविवार को सूर्यास्त के बाद धारण करे। लहसुनिया धारण करने के लिए अश्विनी,मघा व मूल नक्षत्र अनुकूल है।
परस्पर शत्रु ग्रहों के रत्नों को एक साथ पहनने पर लाभ के बजाय हानि भी हो सकती है।
1. माणिक्य के साथ हीरा,नीलम,गोमेद धारण नहीं करें।
2. मोती के साथ गोमेद धारण नहीं करें।
3. मूंगा के साथ हीरा,गोमेद व नीलम धारण नहीं करें।
4. पुखराज के साथ हीरा,गोमेद धारण नहीं करें.
5. हीरा के साथ माणिक्य,मूंगा,पुखराज धारण नहीं करें।
6. नीलम के साथ माणिक्य,मूंगा,पुखराज धारण नहीं करे।
7. गोमेद के साथ माणिक्य ,मोती,मूंगा धारण नहीं करें।
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