मौसमी बीमारियाँ-seasonal disease in hindi
seasonal disease in hindi-आपने निकट के आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श से ही औषध मात्रि आदि का बराबर निरधारण कराकर ही लेवें।
मानसून (वर्षाकाल )में अनेक मौसमी बीमारियां असावधानी से फैल जाती है जरा-सी सावधानी एवं कुछ घरेलू उपचार से इन रोगों से बचा जा सकता है
खांसी होने A कालीमिर्च पीपल एवं सोंठ की बराबर की मात्रा1-2 ग्राम चूर्ण, शहद के साथ दिन में2-3 बार। Bसेकी हई हल्दी का चूर्ण 1-2ग्राम शहद के साथ दिन में तीन बार ले।
Cआयुर्वेदिक औषधि सितोपलादि चूर्ण 1-3 ग्राम शहद के साथ दिन में तीन बार ले Dछोटासा टुकड़ा अदरख का दिन में 2-3 बार चूसें।
वमन (उल्टी )होने परA1-2 ईलायची कूट कर आघा कप पानी में उबाल कर थोडी मिश्री मिलाकर छानकर ले।seasonal disease in hindi
Bनीबू का रस 5-10मि. ली. मिश्री मिलाकर साथ दिन में 2-3 बार ले। Cआयुर्वेदिक दवा एलादिवटी 1-2 गोली दिन में 2-3 बार ले। 3उदरशूल(पेटदर्द)होने पर Aअजवान चूर्ण 1ग्राम गुनगुने पानी के साथ दिन में 2-3 बार ले।
आयुर्वेदिक दवा शंखवटी 1-2 गोली दिन मे 2-3बार ले।Dबुखार जुकाम में 2-3ग्राम अदरख, कालीमिर्च, पीपल एवं मुलेठी कीबराबर मात्रा तथा तुलसी के 5 पत्तियों काढा बना कर ले।
दिल की बीमारियों के कारण (heart disease causes in hindi)
आयुर्वेदिक दवा संजीवनीवटी 1-2 गोली गुनगुने पानी से दिन में 2-3बार ले। रात सोते समय नाक गले छाती पीठ पर विक्स या बाम लगाकर सोवें इस मौसम में ताजा एवं सादा भोजन करे।
मानसून (वर्षाकाल )में अनेक मौसमी बीमारियां असावधानी से फैल जाती है जरा-सी सावधानी एवं कुछ घरेलू उपचार से इन रोगों से बचा जा सकता है खांसी होने
A कालीमिर्च पीपल एवं सोंठ की बराबर की मात्रा1-2 ग्राम चूर्ण, शहद के साथ दिन में2-3 बार। Bसेकी हई हल्दी का चूर्ण 1-2ग्राम शहद के साथ दिन में तीन बार ले।
Cआयुर्वेदिक औषधि सितोपलादि चूर्ण 1-3 ग्राम शहद के साथ दिन में तीन बार ले Dछोटासा टुकड़ा अदरख का दिन में 2-3 बार चूसें।
देश के अधिकांश भाग में मौसमी बीमारियाँ फैल रही।
डेंगू मलेरिया चिकनगुनिया स्क्रब टायफस आदि का कहर जरी है। इन के बचाव के लिए कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ अपने निकटतम आयुर्वेद चिकित्सक की देख -रेख में सेवन कर इन बिमारियों से बचा जा सकता हैं।
A. 1 महारास्नादि क्वाथ। 2 दशमूल क्वाथ। 3गोजिह्वादि क्वाथ। तीनों को समान मात्रा में मिलाकर रख लेवे।
इस संमिश्रण मे से 5ग्राम (एक टी स्पून ) को 200एम. एल. पानी में उबाल कर आधा शेष रहने पर छान कर पीवे। स्वाद के लिए थोड़ी मिश्री डाल सकते हैं।
इस क्वाथ को दिन में दोबार बनाकर लेवें।
B. 1 नीम गिलोय 2पपीते के पत्ते का ताजा रस 10-10 एम एल निकाल कर छान कर पीवें।
C. 1. नीम के2 /4 पत्ते 2. तुलसी 2/4 पत्ते 3. 2ग्राम हल्दी पाउडर 4 अदरक की एक टुकड़ी। 5. दो मुन्क्का दाख 6. एक टुकड़ी गिलोय। कूट ने योग्य को कूट ले।
seasonal disease in hindi
सभी द्र्व्यो को 100 एम. एल. पानी में उबाल कर छान कर गुनगुना -गुनगुना पीवे।
D.1 पांच मुन्क्का दाख 2 दो ग्राम सोंठ 3दो कालीमिर्च 4एक छोटी इलायची 5दो ग्राम मिश्री।
मुन्क्का को कुछ समय भिगोकर बीज निकाल कर अन्य द्र्व्यो के साथ कूट कर 100एम. एल. पानी में उबाल कर छानकर दिन में दो बार लेवें।
इन सभी प्रयोगों में से कोइ एक या दो प्रयोग योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की देख रेख में लेवें।
कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ले सकते हैं।
इन औषधियों को चिकित्सक रोगी रोग वय बल के अनुसार निरधारित करता है साथ ही चिकित्सक द्वारा बताए पथ्य का सेवन करना आवश्यक हैं।
1संजीवनी वटी
2आन्दभैरव रस
3त्रिभुवनकीर्ती रस
4हरिताल गोदन्ती भस्म
5कस्तुरी भैरव रस
6सर्व ज्वरहर लौह
7गिलोय सत्व
8पुट पक्व विषम ज्वरान्तक लौह
9महासुदर्शन घन वटी
10 करंजादि वटी
11संशमनी वटी
इन औषधियों मे से कोइ एक या अधिक का मिश्रण आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श से मात्रा निर्धारित करा कर विधि पूर्वक लेने से सभी ज्वरो का नाश होता है।
इस तरह से हमारी परम्परागत चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद से हम मौसमी बीमारियों से बचेंगे एवं एलोपैथिक दवाइयों के दुष्प्रभाव से भी बचेंगे।
आयुर्वेद अपनाएं।
देश की हवा। देश की माटी।
देश की दवा। देश का पानी।
वैद्य रवीन्द्र गौतम मो. 9414752038
आयुर्वेद चिकित्साधिकारी
आयुर्वेद – विभाग ,राजस्थान – सरकार