heart attack symptoms in hindi-आयुर्वेद में वातिक हृदय रोगों में हृ्दय प्रदेश में अनेक प्रकार के शूल प्रधान लक्षण हृ्द्षूल (एन्जाईना Angina) एवं हृदयाभिघात (Myocardial Infraction मायोकार्डियल इनफरैक्सन) के लक्षणों से मिलते हैं।
आचार्य चरक ने वातिक हृदय रोगों में जकडाहट मूर्छा, वेष्ठन को माना हैं। हृदय रोगों में Chest Pain & Palpitation को प्रधान लक्षण माने हैं।
अतः आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में वर्णित हृद्शूल (एन्जाईना Angina) एवं हृदयोपघात (हृदयाभिघात, हृदयाघात) Myocardial Infraction मायो कार्डियल इनफरेक्सन से इसका सामंजस्य स्थापित किया जा सकता हैं।
हृदय मांस पेशियों से बना एक अंग हैं। जो शरीर के विभिन्न भागों में रक्त को प्रवाहित करने का कार्य करता हैं। (ब्लड की पम्पिग करता हैं) हृदय रक्त प्रवाहित करने वाली धमनियों में जब रूकावट आती हैं।
तो उस हिस्से में रक्त संचार न होने से मांसपेशियां मरने लगती हैं। जिससे हृदय की क्रियाविधि प्रभावित होती हैं। इसी को हार्ट अटैक कहते हैं।
हृदयाघात के लक्षण -heart attack symptoms in hindi
अचानक सीने में दर्द आमतौर पर बाएं हाथ या गर्दन के बाईं ओर यह दर्द जबडे से लेकर पेट के निचले हिस्से तक भी हो सकता हैं। श्वास लेने में तकलीफ मितली उल्टी, घबराहट, पसीना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।heart attack symptoms in hindi
कभी कभी गैस के कारण भी ऐसे ही लक्षण प्रकट होते हैं। लेकिन ऐसे लक्षणों को कभी भी हल्का नहीं लेना चाहिए एवं तुरंत अपने चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए।
इस स्थिति में आपातकालीन गहन चिकित्सा इकाई की आवष्यकता पड सकती हैं।heart attack symptoms in hindi
किसे ज्यादा खतरा हैं –
ब्लड प्रेशर व ब्लड कोलेस्ट्रोल अधिक होने से, मोटापा, जिन्हें पहले भी हार्ट अटैक आ चुका हो, जिसके परिवार में यह रोग जन्मजात हो, स्त्रियों में मेनोपाॅज के बाद, अधिक उम्र के स्त्री पुरूषों में, अधिक धुम्रपान करते हो, जो व्यायाम शील न होना।
हृदय संबंधी रोगों की आषंका उन लोगों में सबसे ज्यादा होती हैं जिन्हें डायबिटीज मेलिटस (लम्बे समय तक शुगर लेवल बढा हुआ रहा हों) जिन परिवारों में हृदय रोग हो उनमें सावधानी बरती जावें।
35 वर्ष की उम्र के बाद नियमित जांचें करावें। खुद को फिट बनाये रखें।
उपयोगी जांचे (टैस्ट)
इसके लिये ई0सी0जी0 ब्लड टेस्ट, एंजियोग्राफी, ट्रेडमिल टेस्ट आदि करवाए जाते है।
पथ्य (हितकर आहार – विहार):-
– सादा सुपाच्य भोजन
– ताजा छाछ, इमली का पानक
– हल्के व्यायाम प्रातः कालीन भ्रमण
– मानसिक तनाव से हो सके जहां तक बचे, जीवन में संतोष की मात्रा
बढानी चाहिए। सदा प्रसन्न रहने का प्रयास करें।
– प्राणायाम (कुम्भक रेचक का अभ्यास)
– स्वच्छ हवा में जोर- जोर से गहरी सांस लेना
– पद्मासन, शवासन, सूर्य नमस्कार आदि आसनों का अभ्यास।
हृद्यद्रव्य (हृदय के लिये हितकर द्रव्य)-
आयुर्वेद में अनेक औषधियों को हृद्य कहा गया हैं। हृद्य का शाब्दिक अर्थ हृदय के लिये हितकर, अधिकांश हृद्य द्रव्य, अम्लरस तथा रसना (जीभ) के लिये प्रिय होती हैं।
सम्भवतः इन्हें हृद्य इसलिये कहा गया हैं। क्योंकि खट्टी मीठी वस्तुयें स्वादिष्ट व मन को प्रिय लगती हैं। हृद्य का सीधा संबंध मन से हैं।
दूसरा पक्ष यह हैं कि अधिकांश अम्लफलादि विटामिन सी/एस्कार्विकाम्ल से युक्त होती हैं। जिसका एन्टीएक्सीडेंट प्रभाव होता हैं।
सम्भवतः इनमें कुछ द्रव्य एस्पिरिन के समान रक्त की तरलता बनाये रखकर हृद्य की रक्षा करते हैं।
high blood pressure treatment in hindi और उसके आयुर्वेद उपचार
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अनार, अंगूर, आवंला, अमलतास, करौंदा, गाजर, नई मूली, मूंग द्राक्षा, श्वेत चंदन, खट्टे फल एवं खट्टी सब्जियाँ , परवल, लवण, आम्र, आम्रातक, लकुच, वृक्षाम्ल, अम्लवेतस, कुवल, बदर, मातुलुंग, मधु, सौवीर, एरण्ड, शुण्ठी, सैंधव लवण, शतावरी, पुष्करमूल, अष्वगंधा कुटकी, रसोन (लहसुन), पुनर्नवा, गोक्षुर, अर्जुन, गुग्गुलु, वचा ये औषधियाँ हृदय के लिये हितकर होने से इनका दैनिक जीवन में प्रयोग करने से हृदय रोगों से बचा जा सकता हैं।
अपथ्य (अहितकर आहार-विहार):-
आजकल हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रोल जैसी समस्याऐं अधिक देखने को मिलती हैं। ब्लड प्रेशर बढने का मुख्य कारण भोजन में प्रोसेस्ड फूड का होना हैं।
प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पदार्थों में सोडियम का स्तर प्रोसेस्ड फूड की अपेक्षा तीन से चार गुना अधिक होता हैं।
किशोरों में बढे हुये कोलेस्ट्रोल का कारण अधिक सैचुरेटेड और ट्रांसफैट वाले आहार के साथ साथ कम शारीरिक परिश्रम करना हैं।
ऐसे में साल्टेड स्नैक्स पैकेट बंद फूड से जहां तक हो सके दूर रहना जरूरी हैं।
– घी, मक्खन, मलाई, मिष्ठान्न का सेवन नहीं करें।
-तेल एवं तेल में तले हुये पदार्थ नहीं खावें।
– नमक का प्रयोग कम करें।
– तली हुयी तेज मसालेदार सब्जियाँ नहीं खावें
– पान, पान मसाला, जर्दा गुटका सुपारी नहीं खावें
– भांग, गांजा चरस जैसे मादक द्रव्यों का सेवन नहीं करें
– शराब हृदय रोगों के लिये विश के समान हैं।
– चाय, कॉफी का अधिक सेवन नुकसान देय हैं।
– फास्टफूड, बीडी, सिगरेट सिगार हानिकारक हैं।
– कब्ज नहीं रहने दें।
– कठिन शारीरिक परिश्रम से बचे
– मानसिक तनाव से बचें
– काम, क्रोध, मद, लोभ, ईष्र्या, द्वेश, भय भावों से दूर रहें
हृदय रोगों से बचाव के घरेलू उपचार :-
– अर्जुन की छाल का काढा बनाकर पीने से हृदय की पीडा और जलन में
फायदा होता हैं।
– लहसुन की 2 कली दूध में उबालकर पीने से हृदयषूल एवं हृदय की
दाह शांत होती हैं।
– अर्क गुलाब 120 एम0एल0, अर्क केवडा 120, एम0एल0 ताजा पानी 200 एम0एल0, 25 पीस किसमिस रात को भिगोकर सुबह चबाकर खाने से हृदय में शीतलता प्राप्त होती हैं।
– 2 चम्मच शहद, 1 चम्मच नींबू का रस, आधा चम्मच मिश्री मिलाकर नियमित चाटने से हृदय की बढी हुई धडकन नियमित हो जाती हैं।
-सूखा आवंला और मिश्री पाउडर (चूर्ण) बनाकर सेवन करने से हृदय की धडकन नियमित होती हैं।
– आवंला मुरब्बा 2 नग धोकर उसमें आधा ग्राम वंशलोचन आधा ग्राम इलाइची, 1 सोने का वर्क, 1 चांदी का वर्क लगाकर खाने से हृदय की कमजोरी दूर होती हैं।
चिकित्सा व्यवस्था –
नागार्जुनाभ्ररस, हृदयार्णव रस, चिंतामणि रस, विष्वेष्वर रस, त्रिनेत्र रस, अकीक पिष्टी, मुक्ता (मोती) पिष्टी, जवाहर मोहरा, प्रभाकर वटी, शंकरवटी हृद्रोवटी, पिप्पली चूर्ण, अर्जुन चूर्ण, पुष्कर मूल चूर्ण, दशमूलारिष्ट अर्जुनरिष्ट आदि औशधियों का योग्य व अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में प्रयोग करें।
चिकित्सा व्यवस्था पत्र –
1.जवाहर मोहरा पिष्टी नं0 1 – 125 एम0जी0
नागार्जुनाभ्ररस – 125 एम0जी0
हृदयार्णव रस – 125 एम0जी0
मोती पिष्टी नं0 1 – 125 एम0जी0
प्रभाकर वटी – 250 एम0जी0
पुष्कर मूल चूर्ण -3 ग्राम
1×2 प्रातः-सांय
2. अर्जुनारिष्ट -15-20 एम0एल0
1×2 खाने के बाद बराबर पानी से
3. त्रिफला चूर्ण – 3 ग्राम गुनगुने पानी से रात को सोते समय इन औषधियों का प्रयोग अपने चिकित्सक की देखरेख में ही करें।
वैद्य रवीन्द्र गौतम मो. 9414752038
आयुर्वेद चिकित्साधिकारी
आयुर्वेद – विभाग ,राजस्थान – सरकार