Alag Soch Rakho in hindi by jivandarshan

Alag Soch Rakho in hindi-दोस्तों हम सभी लोग एक भीड़ का हिस्सा होते है….जैसे दुनियां चलती है वैसे ही चलती है..हम भी उसके साथ चलते है..पर दोस्तों अगर आपको कुछ करना है तो आपकी सोच आपको अलग रखनी होगी..

.हर बात में आपका मत अलग होना चाहिए…जहां कहीं भी आप बैठे हो या कोई चर्चा चल रही हो वहां जब लोग बाते करते है तब आपके मन में भी कई सवाल आने चाहिए…

दोस्तों वैसे ये बात कोई ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं पर थोड़ा आप अपने आप को लोगो से अलग करके देखो आप खुद को एनालाइसिस करो। आप खुद को कुछ और ही महसुस करने लगेंगे।

अलग सोच कैसे रखे -Alag Soch Rakho in hindi

दोस्तों खास बात ये है कि आप थोड़ा खुद पर भी ध्यान दे। अगर किसी भी बात को लेकर अलग विचार रखते हो तो उसको तुरंत पेश ना करे। पहले उसे अपने पेरामीटर पर जांच ले।

आपने देखा होगा कि क्लास में कुछ बच्चे टीचर की बात से कुछ अलग सोच रखते है….. और कभी-कभी अपनी उसी अलग सोच के कारण वे टीचर की किसी भी बात को एकदम से काटकर अपनी बात कह देते है।

और टीचर के आखिर आत्मसम्मान का सवाल होता है और टीचर आखिर टीचर होता है। वो कुछ ही देर में आपकी बात को काट देखा जिससे क्लास रूम में आपका मज़ाक बन जाएंगा।

और अगर आपने ऐसा बार-बार किया तो लोग आपकी सही बातों को भी हँसी में उडाने लग जाएंगे।

तो दोस्तों आप जो कुछ भी कहे पहले खुद सोच ले चाहे आप अपनी बात ना कह पाएं कोई बात नहीं पर….

धीरे-धीरे आपका अपने माइंड़ पर कमांड़ बढ़ जाएंगा और फिर आप जब बोलेंगे तब आपकी बात दुनियां सुनेंगी।

दोस्तों वैसे अगर सच कहुं तो अलग सोच का मतलब आजकल लोग गलत समझ रहे है।

लोग खुद को दुनियां वालो से अपने आप को अलग करने के चक्कर में कुछ भी बोले जा रहे है।

भारतीय संविधान के अंतर्गत स्वतंत्रता के अधिकार का लोग गलत तरीके से उपयोग कर रहे है।
तो दोस्तों अलग सोच रखना आप जितना समझते है उतना आसान नहीं है।

अलग सोच तभी आती है जब आप निरन्तर कर्म करते रहते है।

अलग सोच तब आती है जब आप अपनी ज़िन्दगी में बहुत सी परेशानियों से होकर गुज़रते हो।

अलग सोच तब आती है जब आप अपने आपको दुनियां से अलग समझने का प्रयास करते हो।

दोस्तों आज मेरी इस पोस्ट का सबसे बड़ा मतलब ये कि आप जब एक अलग सोच रखने जाओंगे तो दुनियां वालो से आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

पर दोस्तों अपने आस-पास के लोगो पर अपनी सोच मत लादो।

चाहे आपके माता-पिता भी उस सोच को अगर गलत मानते है तो आप उनका विरोध मत करो।

ना ही उनकी सोच को कमजोर समझो क्योंकि आपके माता-पिता आपसे कहीं ज्यादा अनुभवी है।

दोस्तों हमारी विचारधारा या हमारी मन की अलग सोच का इस्तेमाल खुद ही करे।

जैसे-जैसे आपकी विचारधारा आपकी सोच अलग होती जाएंगी तो दुनियां अपने आप ये फील कर लेगी कि आपकी सोच दुनियां से अलग है।

कभी भी अपने आप को सही साबित करने के लिए कभी भी किसी से बहस ना करे।

क्योंकि जब हमारी सोच हम दुनियां से अलग करेंगे तो शायद हमारी तरह दुसरे भी अपनी सोच दुनियां से अलग रखना ही चाहेंगे।

मैने देखा है कि लोग ज्यादातर अपने आप को सही साबित करने के लिए अपनी बहुत किमती एनर्जी को वेस्ट कर देते है। जिसका खामियाज़ा उन्हे ही भोगना होता है।

धन्यवाद

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.