How to purify the Aura (Aura kya hai in hindi)
Aura kya hai in hindi – वैसे तो औरा को शुद्ध करने की काफी विधियाँ प्रचलित है । औरा को शुद्ध करने पर बॉडी में उर्जा का प्रवाह ठीक हो जाता है व्यक्ति की शारीरिक,मानसिक या भावनात्मक समस्या दुर हो जाती है ।
मार्जन क्रिया से भी औरा को शुद्ध किया जा सकता है तथा औरा के शुद्ध होने पर व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है ।
पहले अपनी दोनो हथेलियों को आपस में तब तक रगड़ना है जब तक वह गर्म न हो जाए फिर दोनों हाथों को आगे पीछे हिलाना है तथा हाथों की मुठ्ठियों को खोलना व बंद करना है फिर दोनो हाथो की अंगुलियों को मिलाकर अंगुठे को दुर रखकर उस व्यक्ति के सिर से छाती,पेट आदि पर से उतारते हुए पैर के एक तरफ हाथों को इस प्रकार झटक देना है जैसे हाथ में कोई द्रवित द्रव्य चिपक गया है तथा आप छुड़ा रहे हो यदि व्यक्ति पुरूष है तो उसके दाहिनी ओर तथा स्त्री है तो उसके बांयी ओर हाथ झटकना चाहिये।
आभामंड़ल (AURA) को किस प्रकार देखे या अनुभव करे।
यह एक मार्जन कहलाता है तथा हाथ के झटकने के पश्चात वापस मुठ्टी बंद कर रोगी के सिर पर हाथ ले जाय तथा इस क्रिया को दोहराए।
मार्जन क्रिया करते वक्त शरीर को स्पर्श करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि अंगुलियों से जो उर्जा निकलती है वह शरीर से 2 इंच की दुरी से यह क्रिया करने पर औरा शुद्ध हो जाती है परन्तु रोगी को कभी-कभी तकलीफ ज्यादा होने पर अंगुलियों को शरीर से स्पर्श कराते हुए मार्जन करना पड़े तो भी इस क्रिया को करना चाहिये।Aura kya hai in hindi
औरा क्या है और उसे कैसे शुद्ध करें
ऐसा करते हुए मन ही मन अपने इष्ट से रोगी के स्वस्थ होने की कामना करनी चाहिये। अर्थात अपने मन में कल्पना करे करे की रोगी स्वस्थ हो रहा है तथा मार्जन क्रिया तब तक करनी है जब तक रोगी राहत अनुभव न करे।
स्नान करने से भी औरा शुद्ध होती है पानी में डुबकी लगाने की अपेक्षा यदि हम सिर पर पानी डालते है तो हमारे शरीर पर बहता पानी औरा की अशुद्धि को अपने साथ बहाकर ले जाता है तथा जब हम शॉवर से नहाते है या सर पर पानी डाल कर नहाते है तो हम कितने ही रोगी क्यों न हो हम स्वस्थ महसुस करते है क्योंकि हमारी औरा शुद्ध हो जाती है।
वासु स्नान भी औरा को शुद्ध करता है जब मन्द-मन्द पवन चल रही हो तब पतले कपड़े पहनकर खड़े होकर हवा का अनुभव करे तो आप अपने को तरो-ताजा महसुस करोगे।
मिट्टी के स्नान से भी औरा को शुद्ध किया जा सकता है । शारीरिक बीमारियों को दुर करने के लिए मिट्टी या कीचड़ में स्नान कई जगहों पर कराया जाता है तथा व्यक्ति को स्वस्थ किया जा सकता है।
अग्नि स्नान से भी औरा को शुद्ध किया जा सकता है इसलिए हमारे शास्त्रों में रोज हवन करने का विधान है तथा हवन में खुले बदन बैठने को कहा जाता है खुले बदन हवन में बैठने के उपरान्त
जब हम अग्नि स्नान के पश्चात उठते हो तो औरा के शुद्ध होने से हम स्वस्थ महसुस करते है ।
होली के चारों ओर छोटे बालक को घुमाना भी बालक को अग्नि स्नान कराने जैसा है ये सभी धार्मिक परम्परायें हमें देखने पर अटपटी लगती है परन्तु ऋषि मुनियों ने इन परम्पराओं को धर्म से जोड़कर व्यक्ति को को स्वस्थ बनाने के लिए है
ग्रामीण क्षेत्रो में बीमारियों में झाड़ा लगाने की प्रथा है कोई व्यक्ति या पशु यदि बीमार हो तो नीम की टहनी से झाड़ा लगाया जाता है तथा कई लोगों ने झाड़ा लगाने के बाद अपने आपको स्वस्थ महसुस किया।
आज के पढ़े लिखे लोग झाड़-फुक को अंधविश्वास कहकर उसका उपहास उड़ाते है जबकि उसी झाड़ःफुक निधी जब विदेशो से रोकी चिकित्सा नाम से लौटी है तो लोग उसका गुणगान करते है।
नीम के पत्तों में औरा शुद्ध करने की शक्ति होती है तथा आप सिर से पैर तक नीम की पत्तियों का झाड़ा लगाये तो औरा शुद्ध होने से व्यक्ति स्वस्थ महसुस करता है।
मौर पंख का झाड़ा भी औरा शुद्धिकरण का कार्य करता है। नीम के पत्तों में जीवाणुओं को नाश करने की शक्ति होती है इसलिए बीमारी में रोगी के चारो ओर नीम के पत्ते रखकर रोगी को लिटाया जाय तो जीवाणुओं का खात्मा कर रोगी को स्वस्थ किया जा सकता है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~अस्तु श्री शुभम्~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~