god particle in hindi-सभी साथी बैठकर आध्यात्म की चर्चा कर रहे थे कि एक भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर बोल उठे की में परमात्मा को नहीं मानता।
तो मैंने कहा की गॉड पार्टीकल की खोज कर ली गई है तो उन्होंने भी हॉ कहा परन्तु में भगवान को नही मानता तब
मेरे मन में विचार आया कि उनका यह कहना की में परमात्मा को नहीं मानता ही इस बात को दर्शाता है कि परमात्मा का अस्तित्व है कोई माने या माने।
जैसे कोई कहे मैं सुरज को नहीं मानता या मैं चन्द्रमा को नहीं मानता तो उसका यह कहना ही प्रमाणित करता है कि सूर्य का अस्तित्व है या चन्द्रमा का अस्तित्व है।
आजकल कुछ पढ़े लिखे लोग मैं परमात्मा को नहीं मानता कहकर धार्मिक या आध्यात्मिक व्यक्तियों का उपहास उड़ाते है परन्तु वह इतना भी नहीं जानते कि परमात्मा या भगवान क्या है।
विज्ञान कहता है कि ऊर्जा को न पैदा किया जा सकता है न नष्ट किया जा सकता है। उसका रूप परिवर्तन होता है।
परमात्मा प्राप्ति का सरल तरीका (Parmatama prapti ka saral tarika in hindi)
उसी प्रकार आध्यात्म कहता है कि आत्मा को कोई आग जला नहीं सकती अर्थात आत्मा को नष्ट नहीं किया जा सकता,आत्मा केवल शरीर बदलती है
जैसे हम पुराने वस्त्रों को त्यागकर नये कपड़े पहनते है वैसे ही आत्मा एक शरीर त्याग कर नया शरीर धारण करती है।
आत्मा भी ऊर्जा का ही रूप है जैसे विघुत चले जाने पर पंखा या लाईट बंद हो जाते है तथा बटन दबाने पर जैसे हीक विघुत प्रवाहित होती है
पंखा चलने लगता है उसी प्रकार आत्मा रूपी विघुत के आने पर शरीर जीवित हो उठता है तथा आत्मा के निकल जाने पर शरीर मृत हो जाता है।
आत्मा परमात्मा का ही अंश है जैसे पानी की एक बुंद को समझ लिया जाय की वह क्या है वह किन तत्वो से निर्मित है।
पानी का सुत्र H2O होता है तथा पानी हाइड्रोजन के दो परमाणुओ तथा ऑक्सीजन के एक परमाणु से मिलकर बना है तो
विश्व के सारे पानी चाहे ध्रुवो पर जमीं बर्फ हो समुद्र का पानी हो या तालाब का पानी हो या नदी का पानी हो उसके बारे में समझ में आ जाता है।
उसी प्रकार आत्मा,परमात्मा का अंश है उसे समझ लिया तो परमात्मा का अनुभव हो जाता है। प्लास्टिक के हाथी,घोड़ा,भगवान,फल आदि खिलौने बनते है।
पड़ौस में कुछ बच्चे खेलते खेलते झगडने लगे कि उनका खिलौना श्रेष्ठ है।
god particle in hindi
सुरेश कहने लगा की उसका हाथी सबसे श्रेष्ठ है तो अब्दुल कहने लगा की उसका घोड़ा श्रेष्ठ है, जॉन अपने खिलौने को श्रेष्ठ बताने लगा तब
बच्चों को झगड़ता देखकर एक सज्जन रूके तथा उन्होंने समझाया कि इन्हें हाथी,घोड़ा,आदी नाम पहचान के लिये दिये है सारे खिलौने प्लास्टिक के है।
यह देखकर मैंने सोचा कि आज भी विभिन्न धर्मो को मानने वाले अपने धर्म को श्रेष्ठ तथा दूसरे धर्म को हीन बताकर झगडते है जबकि सारे धर्मो का मूल परमात्मा है उसे अलग-अलग भाषाओ के कारण अलग-अलग नाम से पुकारा गया।
सभी धर्म श्रेष्ठ है तथा सत्य पर आधारित है तथा इनकी स्थापना इंसानो के मध्य प्रेम व भाई चारे बढ़ाने के लिए तथा इंसानियत की रक्षा करने के लिए की गई है ।
उसी ईश्वर तत्व को विभिन्न नामों से पुकारा गया जैसे पानी को जल,अंग्रेजी में वॉटर,तथा अन्य भाषाओं में अलग-अलग नाम से पुकारते है अर्थात वह सब जल के पर्यायवाची है अर्थात कोई भी नाम लो उससे जल का ही बोध होता है।
इतनी छोटी सी बात आज केके बुद्धिजीवी कहे जाने वाले धर्म के ठेकेदार नहीं समझते है कि अल्लाह कहो,भगवान कहो,परमेश्वर कहो या वाहे गुरू कहो सभी परमात्मा का ही बोध कराते है अर्थात पर्यायवाची है।
इतनी छोटी सी बात नहीं समझ पाने के कारण आज तक धर्म के नाम पर करोंड़ो लोग मारे गये है तथा आज भी मारे जा रहे है।