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बचपन का वो डर जो आज भी डराता हो -fear of darkness in hindi

डर जो हमेशा हमे डराते है-fear of darkness in hindi

fear of darkness in hindi-दोस्तों मेरा आज का पोइंट है “बचपन का डर” वैसे इस बिन्दु पर भी कोई गौर नहीं करता है पर ये बात हमारे बच्चों पर ओर उनके बड़ा हो जाने के बाद भी असर करती है…

दोस्तों जब हम छोटे होते है तब हमारे माता-पिता या कोई भी रिश्तेदार हमे कुछ मनवाने के लिए समझाने के लिए डराते जरूर है…..

जैसे बोलते है कि अगर तुने खाना नहीं खाया तो सामने वाले पेड़ का भुत तुझे खा जाएगा….

तो बच्चा डरकर खाना खाने लगता है पर उसके ज़हन में भुत का डर बैठ जाता है…

सीधी बात से होने वाले फायदे (straight forward in hindi)

बच्चे अगर पानी के पास याया आग के पास जाते है तो उनकों बहुत ही गलत तरीके से डरा दिया जाता है हम मानते है कि

आग,पानी बहुत खतरनाक है पर इतना भी ना डरा दे कि जीवन भर उनमें डर पैदा हो जाए…..

और कुछ लोग तो अपने रिश्तेदारों का नाम लेकर भी डराते है जिससे वो बच्चा जब भी उनकों देखता है तो उनसे दुर भागने लगता है….

दोस्तों बच्चों को समझाना चाहिये पर उनमें किसी भी बात का या किसी का डर मत डालियें….जिस बच्चे को भी डराया जाता है तो उसके अवचेतन मन में वो बात रह जाती है और ज़िन्दगी भर वो उससे डरता रहता है…

चाहे बड़ा होने के बाद वो आपको नहीं दिखाएगा पर उसके अंदर डर जरूर रहेगा….

एक उदाहरण देता हूं एक घर में एक बच्चा खेल रहा था जब उसकी मां ने बच्चे को बोला की आप बेड़ पर जम्प मत लगाओ आप गिर सकते हो…. पर बच्चा नहीं माना…

उसकी मां ने चेता दिया पर वो नहीं माना ओर उसकी मां ने उसे उसके हाल पर छोड़ दिया….पर कुछ देर बाद वो बच्चा गिरा और उसे लगी भी सही…

fear of darkness in hindi

पर वो बोला की मां मुझे नहीं लगी…पर वो समझ गया कि ऐसा करने से दर्द होता है पर मां भी उसे कुछ नहीं बोली….

क्योंकि वो बच्चा समझ गया कि ऐसा करने से लगेगी….उसके बाद उसने कभी वो गलती नहीं कि और अगर कि भी सही तो उसने बहुत ध्यान से काम किया।
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साथ ही बच्चों को जुठ ना बोले जो है वहीं बताये गलत बोलकर कभी भी अपना काम ना करवाये ।

दोस्तों साथ ही कुछ टीचर भी बच्चों को पढ़ाई के लिए डांटते है और डराते है…दोस्तों में आपको खुद की बात बताता हूं जब में 1st Class में था तब एक टीचर ने किसी बच्चे को एक डंडे से मारा दोस्तों आज मुझे बात याद आती है तो हँसी आ जाती है कि उस दिन मेरे अंदर इतना डर बैठ गया की अगले दिन से मैंने स्कुल जाना ही बंद कर दिया

और टीचर ने किसी ओर को मारा था मुझे नहीं फिर भी आप सोचो मेरे अंदर कितना डर बैठ गया….

आप सोचो की बच्चे अगर कुछ ऐसा देखकर भी इतना डर सकते है तो अगर उनकें साथ ऐसा कुछ हो जाए तो उनमें कितना डर बैठ जाएगा…

वैसे वो टीचर बहुत अच्छे थे और दस साल बाद में उनसे मिला था ओर वो बात भी बताई जो उस वक्त मेंरे साथ हुई ओर जिस दिन उनसें अच्छे से बाद की उसके बाद वो उनसे वो डर खत्म हुआ….

दोस्तों मेरी बांतो को सही से समझना….ऐसा नहीं है कि हम बच्चों को कुछ भी ना कहे या उनकों डांट फटकार ना लगाए…

बस अपना तरीका बदलो…ये ध्यान रखो कि उसके अंदर कोई अन्जाना डर ना बैठ जाए….

sudarshan rawal
सुदर्शन रावल

धन्यवाद

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