Human beings are non vegetarians or vegetarians in hindi
हमारा मन पवित्र रहे ऐसा भोजन करना चाहिए। आध्यात्मिक सफलता के लिए क्या शाकाहारी होना आवश्यक है ?(मनुष्य मांसाहारी जीव है या शाकाहारी)
किसी-किसी ग्रन्थों में तथा कई व्यक्ति मांसाहार के पक्ष में बात करते है तथा कभी-कभी अपने तर्क द्वारा तथा ग्रन्थों के अन्दर आये किसी श्लोक का सहारा लेकर अपनी बात को सही साबित करने का प्रयत्न करते है तथा मांसाहार पर बल देते है ।
साथ ही विश्व की ज्यादातर जनसंख्या के मांसाहारी होने का प्रमाण भी प्रस्तुत करते है। साथ ही मांसाहारी होने पर बलशाली होने का प्रमाण भी देते है।
आप सब लोगों के मन में भी ऐसी बाते सुन-सुन कर यह प्रश्न उठता होगा कि मनुष्य को मांसाहारी होना चाहिये या शाकाहारी?
हमारा शरीर किस प्रकार का भोजन करने के लिए बना है ?
एक प्रकार से मनुष्य शाकाहारी जीव है या मांसाहारी क्योंकि प्रारम्भ में जब मनुष्य अन्न आदि उपजाने के विषय में जानता नहीं था तब वह मांस खाकर अपना निर्वाह करता था ऐसा हम पढ़ते है ।
मनुष्य के शरीर में जितनी भी शक्ति आती है वह भोजन से आती है यदि हम जानवरों के स्वभाव को देखे तो हाथी आकार में बहुत बड़ा है तथा शांत स्वभाव का है तथा शेर-चीता आदि मांसाहारी पशु चंचल है ।
आध्यात्मिक सफलता के लिए मन की एकाग्रता अति आवश्यक है अर्थात मन का शांत रहना अति आवश्यक है अतः शाकाहारी भोजन आध्यात्मिक या योगी को करना चाहिए।
मनुष्य के जीवन का क्या लक्ष्य होता है
विज्ञान की दृष्टि से देंखे तो जितने मांसाहारी पशु होते है उनकीं आहारनाल छोटी होती हैतथा तथा मनुष्य की आहारनाल लम्बी होती है।
मनुष्य शाकाहारी जीव है या मांसाहारी
इसलिए मनुष्य शाकाहारी होना चाहिये तथा जितने मांसाहारी पशु होते है वह जीभ से पानी पीते है कुत्ता,शेर आदि तथा मनुष्य जीभ से पानी नहीं पीता इसलिए शाकाहारी बन कर ही पैदा हुआ है तथा उसे शाकाहारी ही जीवन यापन करना चाहिये।
घोड़ा व हाथी शाकाहारी भोजन लेते है फिर भी उनकी शक्ति अधिक है। वैज्ञानिक भी बताते है कि शाकाहारी भोजन मनुष्य लिए उत्तम रहता है तथा शाकाहारी व्यक्ति बहुत सी बीमारियों से बचा रहता है।
विश्व के सारे लोग शाकाहारी हो जायेंगे तो शाकाहारी लोगो को भोजन बहुत महंगा मिलेगा तथा एक प्रकार से पशुओं की मात्रा पृथ्वी पर बढ़ जायेगी।तथा अन्न की कमी हो जायेगी तथा भुखमरी फैल जायेगी।
तो मेरा यह कहना है कि विश्व में ठंड़े प्रदेशो में रहने वाले कैसा भी भोजन करते हो परन्तु तथा गर्म प्रदेश व समतापी प्रदेश में रहने वाले तो शाकाहार को अपना सकते है तथा अपने मन की चंचलता रोक कर आध्यात्म में प्रवेश कर सकते है।
मनुष्य शाकाहार ग्रहण करने के लिए ही बना है उसे ही ग्रहण करे अपने पेट को शमशान न बनाये।
यदि आप सब शाकाहारी हो जायेंगे तो प्रकृति आपको पर्याप्त अन्न देगी तथा दुधारू पशुओं के पनपने से वृद्धि होने से आप दुध पीकर स्वस्थ बने रहेंगे।
अंत में इतना ही कहना चाहता हूं कि शाकाहारी बनों तथा मन को शांत कर शीघ्रता से परमात्मा का अनुभव करों।
————————अस्तु श्री शुभम्———————————
its really helpful sir you are great ap bahut ache vichar likhte ho sach me sab ko non veg khana chor dena chaiye… taki world bahut acha ho jaye…
Thanks