ऊँ ओंकार स्वरूप गुरूदेव को मेरा साष्टांग दंड़वत। गुरूदेव मुझे आशीर्वाद प्रदान करे ताकि में गीता जी के बारे में कुछ लिख सकने में समर्थ बनु।
मैं गीता का अर्थ स्पष्ट करने का साहस कर रहा हूं उसके लिए जगदगुरू श्री कृष्ण मुझे क्षमा करे। भगवान जी ने गीता में जो कहा है उस बात को समझने के लिए हमारी बुद्धि का स्तर उस लेवल का हो जितना भगवान श्री कृष्ण का था तभी हम उनकीं कही हुई बात को समझ सकेंगे।
भगवान श्री कृष्ण तो सुर्य की तरह है तथा मैं उनके सामने एक जुगनु की तरह हूं। यदि मैं गीता के कुछ अंश को भी समझा सका तो मेरे लिये बहुत बड़ी बात होगी। गीता ज्ञान भगवान की वाणी है अत: हमने उसका अंशमात्र भी समझ लिया तो हमारा जीवन सार्थक हो जायेगा तथा हमको मार्गदर्शन प्राप्त होगा। एक सामान्य व्यक्ति भी अपनी बात कहता है यदि उसके शब्दों का अर्थ पुरी तरह कर लिया जाय तो भी वह व्यक्ति जो कहना चाहता है उसको पुरी तरह हम समझने में असमर्थ रहेंगे क्योंकि कोई बात कहते वक्त उस व्यक्ति के मन के भाव क्या थे उस बात को समझना काफी मुश्किल है उसने जो कहा वह तो उसके भावो का 10 प्रतिशत है बाकि 90 प्रतिशत तो बिना कहे रह जाता है।
यदि हम सामान्य व्यक्ति की बातों को नहीं समझ सकते तो गीता ज्ञान तो भगवान की वाणी है उसे पूर्ण कैसे समझा जा सकता है।
यही कारण है कि विभिन्न आत्मासाक्षात्कारी संतो द्वारा, भगवान के भक्तो द्वारा,विद्वानो द्वारा समय—समय पर गीता जी के बारे में बताने का प्रयत्न किया उन्होंने अपनी बुद्धि के अनुसार भगवान की कही गई बात को समझाने का प्रयास किया ताकि सबको मार्गदर्शन मिले तथा सबका भला हो ।
श्रीमद् भगवत् गीता आपकी दुविधा को दुर करती है भगवान ने अर्जुन की मन की दुविधा को दुर किया उसी प्रकार यदि आप किसी भी प्रश्न का उत्तर चाहते है या मन दुविधा से ग्रस्त है आप निर्णय नहीं कर पा रहे है कि क्या करे या न करे तो गीताजी निश्चित ही आपका मार्गदर्शन करेगी।
जब भी मेरे सामने दुविधा होती है मैं शांत मन से गीता को हाथ में लेकर बैठ जाता हूं अपने ईष्ट को मार्गदर्शन की प्रार्थना करता हूं तथा गीता को खोलता हूं। जो भी पेज खुलता है उसके अर्थ को पढ़ता हूं। उस अर्थ को थोड़ी देर मनन करने पर मुझे मार्गदर्शन मिल जाता है तथा मेरी दुविधा समाप्त हो जाती है। मैं कोई संस्कृत का विद्वान नहीं हूं। विभिन्न ज्ञानियों द्वारा की गई बातो को पढ़ कर आपको अपने जीवन में राजनीति,व्यापार,धार्मिकता,आध्यात्म,पारिवारिक समस्याएं,मोटीवेशन,व्यक्तित्व विकास आदि में मार्गदर्शन में गीता में भगवान द्वारा जो कहां गया है उसके थोड़े से अंश को समझकर आप हर क्षेत्र में सफल कैसे हो उस बात को बताने का प्रयत्न करूंगा।
मैं गुरूदेव से प्रार्थना करता हूं कि वह मेंरे अंदर विराजमान होकर गीता को समझने की समझ विकसित करे ताकि में अपनी बात आप को समझा सकूं।