स्लिप डिस्क से बचने के सरल उपाय-slip disc problem in hindi
slip disc problem in hindi-1. रीढ की हड्डियों की सहायता करने वाली सभी मांसपेशियों की नियमित कसरत करना आवश्यक हैं। (चाहिए) कमर को सीधा रखने में इन मांसपेशियों की प्रमुख उपयोगिता हैं।
2. झुकने वजन उठाने अधिक देर तक खडे रहने तथा अधिक देर तक अच्छी अंग मुद्रा बनाये रखने या सोच समझकर बैठने से कमर पर दबाव कम आता हैं।
3. यदि आगे झुककर कोई वस्तु उठानी हो तो दोनों धुटने मोडकर झुके कुर्सी एवं गाड़ी की सीट पर बैठना हैं तो पीछे खिसककर बैठें।
4. कमर में दर्द जकडाहट एक पैर या दोनों पैरों में झनझनाहट रहना कमर से पंजे तक दर्द का चलना अंगूठे या अंगूली में सूनापन पांव का सोजाना।
5. तेज गति वाले वाहन, मोटर साईकिल , तैराकी आदि से बचें।slip disc problem in hindi
6. ज्यादा देर तक खड़े रहना हो तो एक पांव धरातल से लगभग 6 इंच उंचाई के आधार पर रखना चाहिए।
7. शरीर का वजन कम करना चाहिए।slip disc problem in hindi
8. अनावश्यक मानसिक तनाव से बचें।
9. सोते समय सख्त बेड या पतले गद्दे का प्रयोग करना अत्यंत उपयोगी हैं।
10. दर्द की तीव्रता में मालिश एवं व्यायाम एवं अतिरिक्त श्रम से बचें।
11. आलती पालती मारकर एवं उकडू नहीं बैठें।
कमर दर्द व स्लिप डिस्क होने की वजह और लक्षण (slip disc symptoms in hindi)
स्लिप डिस्क चिकित्सा –
1. रोगी को पूर्ण विश्राम सख्त बेड पर लेटकर करना चाहिए।
2. पीड स्थल पर अभ्यंग (तेल मालिश) नहीं करनी चाहिए।
3. सोकर उठते समय करवट लेकर उठना चाहिए।
4. गृध्रसी (सियाटिका) रोग में गुल्फ एवं एडी के बीच शिरा वेध एवं अग्निकर्म चिकित्सक की देखरेख में करना चाहिए।
5. वेदना नाशक लेप तथा उपनाह का प्रयोग करना चाहिए।
6. निगुण्डी पत्र पानी में उबालकर (निर्गुण्डी पत्र क्वाथ) उसकी भाप से स्थानिक (स्वेदन) सेक करना चाहिए।
7. सम्हालु या हार सिंगार (शेफाली) के पत्ते का क्वाथ मंद आंच पर पकाकर देने से लाभ रहता हैं।
8. एरण्ड तेल का पीना भी लाभदायक रहता हैं।
औषध व्यवस्था में –
1. वात गजांकुश रस 125 मिलिग्राम
2. वात कुलान्तक रस 125 मिलिग्राम
3. त्रयोंदशांग गुग्गुलु 500 मिलिग्राम
4. सौंठ चूर्ण 2 ग्राम
5. सिंहनाद गुग्गुलु 500 मिलिग्राम
6. मल्ल सिंदूर 65 मिलिग्राम
7. अजमोदा चूर्ण 3 ग्राम
8. रसोन पाक
9. अश्वगंधापाक
10. शुण्ठी पाक
11. भल्लातक योग
12. दशमूल क्वाथ
13. महारारनादि क्वाथ
उपरोक्त दवाओं में छांटकर योग बनवाकर रोगी रोग वय अवस्था के आधार पर चिकित्सक की देखरेख में सेवन करने से रोग ठीक हो जाता हैं।
पंचकर्म चिकित्सा में स्नेहन स्वेदन कटिवचस्ति एवं वैतरणा वस्ति, रक्त मोक्षण विशेष लाभदायक हैं।
कमरदर्द एवं योगासन –
1. ताडासन अर्ध चक्रासन इसके अलावा लेटकर एक पैर से उत्थान पादासन कटिचक्रासन भुजंगासन मरकटासन एवं अर्द नौकासन
2. आगे झुकने वाले आसन नहीं करें।
3. कोई भी असुविधा होने पर व्यायाम रोक देवें।
4. आगे झुकने वाले आसन नहीं करें।
वैद्य रवीन्द्र गौतम मो. 9414752038
आयुर्वेद चिकित्साधिकारी
आयुर्वेद – विभाग ,राजस्थान – सरकार