शिरोधारा के फायदे
केरलीय पञ्चकर्म मे शिरोधारा का प्रमुख स्थान है। आयुर्वेदीय संहिता ग्रंथों मे शिरो परिषेक कहा है।
शिरोधारा दो शब्दों से बना है, शिरो (सिर), धारा (प्रवाह) यानी भ्रू के मध्य स्थान से थोड़ा ऊपर ललाट पर किसी तरल पदार्थ को जब धारा के रूप में कुछ समय तक बिना रूके गिराया जाता है तो इसे शिरोधारा कहते हैं। यह तरल पदार्थ अनवृत 45 मिनिट धारा के रुप मे गिराया जाता है।शिरोधारा के लिए रोगी और रोग की प्रकृति के अनुसार औषधीय तेल, दूध, तक्र(छाछ) नरियल पानी, केवल पानी का प्रयोग किया जाता है।
लाभ:-
तनाव, अनिद्रा, बेचैनी, चिड़चिड़ापन,अवसाद, मूड स्विंग होने जैसी तकलीफों में शिरोधारा लाभकारी है। इससे मन को शांति मिलती है।
स्नायु से संबंधित रोग:-
कमजोर याददाश्त, अर्दित(चेहरे का लकवा), पुराना सिरदर्द, माइग्रेन, गहरी नींद न आना जैसी परेशानियों में यह बहुत फायदेमंद है। इससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार होकर रूसी, बाल झड़ना या जल्दी सफेद होना, सिर की त्वचा, का संक्रमण, रक्तविकार, आदि में आराम मिलता है। लेकिन इस प्रक्रिया को विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही करें, तथा प्रशिक्षित विशेषज्ञ की देखरेख मे ही कराएँ ।
वैद्य रवीन्द्र गौतम मो. 9414752038
आयुर्वेद चिकित्साधिकारी
आयुर्वेद – विभाग ,राजस्थान – सरकार