विश्व का प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि दुसरे लोग उसकी इच्छानुसार चले उसकी बात माने उसका विरोध न करे। प्रत्येक पति चाहता है कि उसकी पत्नी उसके कहे अनुसार चले उसी प्रकार प्रत्येक पत्नी चाहती है कि उसका पति उसी का होकर रहे अन्य की ओर आकर्षित न हो इसके लिए पुरूष या स्त्री विज्ञापनों को पढ़कर “ वशीकरण कैसे करे” तांत्रिको से ताबीज लेते है टोने-टोटके करते है,
वशीकरण मंत्रो का जाप करते है जिसमें धन हानि तो होती ही है साथ की कार्य सिद्ध नहीं होने पर उसका विश्वास डगमगाने लगता है।
Vashikaran in Hindi
ज्यादातर व्यक्ति आध्यात्म की ओर इसी लिए आकर्षित होते है कि वह वशीकरण कर सके,ज्यादा धन कमा सके तथा बीमारियों को दुर कर सके अर्थात भौतिक परेशानियों को दुर करने के लिए व्यक्ति आध्यात्म की ओर आकर्षित होता है। परमात्मा का अनुभव करने के लिए बहुत कम व्यक्ति आध्यात्म में प्रवेश करते है।
तुलसीदास जी ने कहां है कि कठोर वचनों का त्याग कर दे यही वशीकरण है। जो व्यक्ति अपने स्वयं के मन को कंट्रोल नहीं कर पाता वह दुसरो के मन को कंट्रोल कैसे कर सकेगा।
वशीकरण मंत्रों को सिद्ध करने में काफी श्रम की आवश्यकता है तथा गुरू की आवश्यकता होती है। गुरू जिन्होंने ऐसे मंत्रो को सिद्ध कर रखा है वह काफी सेवा करवाने के बाद भी इन मंत्रो को भेद नहीं बताते है। बता देते तो साधना में त्रुटी रहने पर सफलता नहीं मिलती है।
मैंने देखा है कि आजकल पति-पत्नी के दाम्पत्य जीवन में कड़वाहट भर जाने से उनमें झगड़े होते रहते है तथा कई बार झगड़े इतने बढ़ जाते है कि तलाक तक नौबत पहुंच जाती है। उनके दाम्पत्य जीवन में झगड़ो का प्रभाव उनके बच्चों पर पड़ता है तथा बच्चों का सर्वागीण विकास रूक जाता है। अत: लोकहित के लिए मैं स्वरोदय विद्या का वशीकरण प्रयोग लिख रहा हूं। इस प्रयोग को पति-पत्नी करे तो अपने साथी को अपने वश में रख सकते है जिससे दाम्पत्य जीवन में प्रेम उत्पन्न होगा तथा सम्बन्धों में कड़वाहट समाप्त हो जायेगी।
पूर्व के लेख मनचाही संतान कैसे प्राप्त करे में मैंने बताया था कि नाक के बायी ओर स्वर चलता है तो उसे चंद्र स्वर तथा दाहिनी ओर के नासा छिद्र से स्वर चलता है उसे सूर्य स्वर कहते है व्यक्ति के दोनों नासाछिद्रों से स्वर चलता है तो उसे सुषुम्ना स्वर कहते है।
व्यक्ति चाहे वैसे अपने स्वर में परिवर्तन कर सकता है उसकी विधी मैंने पूर्व के लेख में बताई है। इस लेख मे मैं बता रहा हूं कि “वशीकरण कैसे करे” ।
स्वरोदय विद्या में शिवजी ने बताया है कि पत्नी के चन्द्र स्वर को पुरूष अपने सूर्य चन्द्र द्वारा ग्रहण करके प्राण में स्थिर कर दे तो पत्नी आजीवन वशीभुत रहती है। जो व्यक्ति अपना स्वर देकर उसका स्वर ग्रहण करता है तो जिसका स्वर ग्रहण किया जाता है वह स्वर ग्रहण करने वाले के वश में रहता है।
जो व्यक्ति रात्रि के अन्तिम चरण में अपनी सोई हुई पत्नी के सुषुम्ना स्वर का पान करता है तो वह पत्नी उसका साथ नहीं छोती है। उपरोक्त प्रकार से सुषुम्ना स्वर पीने के पश्चात अपनी पत्नी को अपना चन्द्र स्वर पिलाता है तो उसकी पत्नी उस पर मोहित रहती है।
मैथुन क्रिया के समय या सोते वक्त स्त्री के चन्द्र स्वर को पुरूष अपने सूर्य स्वर से पान करे तो पुरूष में स्तम्भन शक्ति बढ़ती है । “प्रेम प्रसंग” के समय पत्नी के सूर्य स्वर को पीने से शक्ति मोहित हो जाती है तथा अपनी शक्ति का अंश भी पुरूष को प्राप्त होता है।
जब सूर्य या चन्द्र स्वर चल रहा हो तब सर्प की भांति फुफकार करते हुए संगीनी के होठो का बार-बार चुम्बन करने से संगीनी वश में रहती है। संगीनी को सोते समय तक चुमना तथा जागने पर गले व नेत्रों को चुमने पर वशीकरण होता है।