“श्रीमद् भागवत”
|| ऊं गुरूवे नम: ||
24 avatars of lord vishnu in hindi-श्रीमद् भागवत परमहंसो का ग्रन्थ है । परमहंस मानते है कि संपति एवं स्त्री भक्ति में बाधक नहीं है परन्तु भक्ति में मददगार है ।
इंद्रियॉ भोग का साधन नहीं है परन्तु भक्ति करने का साधन है। परमात्मा में मन सदा लगाए रखना भक्ति है। आप हमेशा किसी न किसी देवी देवताओं की आराधना करते रहते हो।
आपका ईष्ट सदा आपके साथ रहता है तथा गुप्त रूप से हमेशा आपकी सहायता करता रहता है। प्रभु हमेशा अपने भक्तों की दुख में सहायता करता है।
गंगा नदी में स्नान करने से शरीर शुद्ध होता है परन्तु मन की शुद्धि, कृष्ण कथा रूपी भागवत की गंगा में स्नान करने से होती है।
जब हम एकाग्रतचित होकर हृदय में प्रेम भरकर भागवत कथा सुनते है तो मन द्रवित हो जाता है.. तथा हृदय भाव विभोर हो कर कमल की तरह खिल जाता है ऑखों में आँसु आ जाते है तथा मन भगवान के प्रेम से भर जाता है
मन में भगवान का प्रेम भरने से मन से संसार बाहर निकल जाता है तथा हम मुक्ति की ओर बढ़ने लगते है।
मैं आपको द्वारकाधीश श्री कृष्ण की कथा , जो भागवत में तथा अन्य ग्रंथो में है , वह लिखुंगा। भागवत सुनने से निष्काम भक्ति का फल मिलता है तथा निष्काम भक्ति से ही आप मुक्ति के अधिकारी बनते है।
श्री मद् भागवत कथा के अनुसार भगवान ने चौबीस अवतार लिए है क्योंकि भगवान ने कहा है कि “जब जब धर्म की हानि होगी तब-तब अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना के लिए मै इस पृथ्वी पर जन्म लूंगा।
आदि नारायण के अंश से ही देवताओं, पशु-पक्षी तथा कीड़ो की उत्पत्ति होती है।
भगवान विष्णु के 24 अवतार (24 avatars of lord vishnu in hindi)
• परमात्मा ने प्रथम अवतार सनकादिक कुमारो का लिया । इस अवतार में उन्होंने ब्राह्मण होकर अखंडित ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया।
• दूसरा अवतार श्री हरि ने वाराह अवतार धारण किया तथा रसातल में गयी पृथ्वी का उद्दार किया।
• तीसरा अवतार नारद का लिया तथा लोगो को भक्ति का मार्ग बताया।
• चौथा अवतार भगवान भगवान ने नर तथा नारायण ऋषि रूप में लिया तथा असाध्य तप किया।
• पांचवा अवतार कपिल मुनि के रूप में लिया तथा संसार को सांख्यशास्त्र दिया।
• छठा अवतार भगवान ने दत्रातेय के रूप में लिया तथा अनुसुआ तथा अत्रि ऋषि के घर पुत्र रूप में उत्पन्न हुए।
• सातवा अवतार भगवान ने यज्ञावतार का धारण किया।
• आठवा अवतार भगवान ने ऋषभदेव के रूप में लिया तथा परमहंसो का मार्ग बताया।
• नवमा अवतार पृथुराज का धारण किया तथा पृथ्वी से औषधियों तथा सब वस्तुओं का दोहन किया।
• दशमा अवतार मत्स्यावतार लिया तथा वैवस्त मनु की सुरक्षा की ।
• ग्यारहवा अवतार भगवान कछुआ का लिया तथा पीठ पर मंदराचल पर्वत धारण कर देव व राक्षसो के समुंद्र मंथन में सहायता की।
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• बारहवा अवतार भगवान ने धनवंतरी का धारण किया तथा अमृत दिया।
• तेरहवा अवतार भगवान ने मोहिनी का धारण कर के स्त्री रूप में दानवों को मोहित करके देवताओं को अमृत पान करवाया।
• चौदहवा अवतार भगवान ने नृसिंह रूप में लिया तथा हिरणाकश्यप को मार कर प्रहलाद की रक्षा की।
• पन्द्रवा अवतार वामन अवतार धारण कर बलि राजा से तीन पैर ज़मीन मांगी।
• सौलहवा अवतार भगवान ने परशुराम का धारण किया तथा पृथ्वी को इक्कीस बार क्षत्रिय विहीन किया।
• सत्रहवां अवतार भगवान व्यास का लिया तथा वेद रूपी वृक्ष को शाखाओं में बांटा।
• अठारवा अवतार भगवान राम का लिया व रावण का वध किया।
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• उन्नीसवां अवतार कृष्ण के रूप में लिया।
• इक्कीसवां अवतार बुद्ध का धारण किया।
• बाइसवां अवतार कल्कि नाम से लेंगे।
पहला धर्म तथा मनु इन दो अवतारों के साथ भगवान के कुल चौबीस अवतार गिने गये है।
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