कटि बस्ति-kati basti ke fayde in hindi
kati basti ke fayde in hindi-केरलीय पंचकर्म का एक रूप है।जैसा की नाम से ही विदित होता है कि कटि अर्थात् कमर पर होने वाला प्रोसेस।
इसका मुख्य उद्देश्य पीडित स्थान को राहत देकर रोग को जल्दी ठीक करना।
इसके माध्मम से प्रभावित स्थान का स्नेहन एवं स्वेदन कर वात का शमन करना।आयुर्वेद के अनुसार कटि वात का मुख्य स्थान माना गया है।
अतः वात का शमन कर कटि रोगों की प्रभावी चिकित्सा है बस्ति ।
कटि बस्ति की प्रक्रिया:-kati basti ke fayde in hindi
कटि बस्ति में उस स्थान को सम्यक स्नेहन स्वेदन हो सके इस निमित उडद के आटे को गूथ कर एक घेरा बनाया जाता है,
तथा उसमें आयुर्वेद औषधियों से युक्त तैल का प्रयोग रोगानुसार चिकित्सक अपने विवेक से चयन करते है।
मुख्य रूप से महानारायण तैल, महाविषगर्भ तैल, प्रसारणी तैल, महामाष तैल, बलालाक्षादि तैल ,दशमूल बला तैल ,आदि तैलो का एक ,या दो ,या तीन ,तैलो के सम्मिश्रण के रुप मे करते हैं।
इस प्रक्रिया मे तैल को निरधारित तापमान पर गर्म कर कमर पर निर्धारित स्थान पर बनाये गये उडद की दाल के गूथे हुए आटे से कमर पर बने घेरे मे भरते हैं
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तथा बीच बीच मे तैल को निर्धारित तापमान पर गरम कर बदलते रहते है,यह प्रक्रिया लगभग30 से 45 मिनिट कराते है।
कटि बस्ति समस्त कटि रोगों यथा कमर दर्द ,रीढ़ की हड्डी से सम्मन्धित समस्त रोग
स्लीप डिस्क ,लम्बरस्पोन्डो़लाइटिस, आदि रोगों मे प्रभावी चिकित्सा है।
योग्य एवं अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में ही कटि बस्ति लेनी चाहिए।
इसके पूरे लाभ के लिए चिकित्सक के बताये गये सारे निर्दशो का पालन करना चाहिए।
सम्पूर्ण लाभ के लिए साथ में योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के मार्गदर्शन मे आयुर्वेद औषधियों का प्रयोग करने से आशातीत लाभ मिलता है।
वैद्य रवीन्द्र गौतम मो. 9414752038
आयुर्वेद चिकित्साधिकारी
आयुर्वेद – विभाग ,राजस्थान – सरकार