love and friendship difference

प्यार और दोस्ती में क्या अंतर है ?(love and friendship in hindi)

love and friendship

love and friendship -दोस्तों मैं आज कुछ अलग मुद्दे पर बात करूंगा जो शायद आपके लिए बहुत नयी बात तो सकती है….आज के यूवाओं में ये ट्रेड़ बहुत ज्यादा चल रहा है…आजकल अगर दोस्त ना हो तो यूवाओं की ज़िन्दगी मानो कुछ नहीं…वैसे में इस मुद्दे पर मेरी अगली पोस्ट में बात करूंगा…आज में आपको दोस्ती और प्यार में फर्क बताऊंगा….

दोस्तों वैसे तो दोस्ती ओर प्यार जैसी कोई बाते होती नहीं है पर हम ये मानते है तो में आपको बता दूं कि दोस्तीं का मतलब है… जब हमारा कोई भी स्वार्थ हो और कोई हमारे काम आता है उसे दोस्ती कहते है ..पर वो काम कुछ भी हो सकता है… चाहे वो अपने टाइम पास के लिए किसी का साथ क्यों ना हो….हो सकता है हमे घुमने जाना है हम अकेले है तो हम अपने दोस्त के साथ जा सकते है….

Arranged Marriage सही है या Love Marriage ?

हम कभी अपने दिल की बात किसी से नहीं कर पाते…. अगर उस समय अगर हमें अपना दोस्त मिल जाए तो उससे हम अपनी बात शेयर करके अपना दिल हल्का कर सकते है…..मैं आपको एक बात बता दूं की मैं दोस्तीं के खिलाफ नहीं हूं प्लीज मेरी बात को सही से समझे नहीं तो आप इसका गलत मतलब भी निकाल सकते है…

वैसे में आपको बता दूं कि हमारे दोस्त समय के साथ बदलते रहते है बहुत ही कम ऐसे होते है जो लम्बे वक्त तक आपसे जुड़े रहते है जैसे-जैसे समय बितता जाता है दोस्त भी बदलते जाते है…साथ ही हमारा दोस्तों के लिए स्वार्थ भी बदलता रहता है…

दोस्तों ये मैं नहीं कहता….. आप खुद अपने अंदर जांके और याद करे बचपन में जो आपके दोस्त थे उसके बाद आप बहुत से लोगो से मिले हर बार आप नए दोस्त बनाते गए और पुराने दोस्तों को भुलते जाते हो….समय के अनुसार जो आपके उस समय साथ होते है आप उनसें क्लोज़ रहते हो…..

असल में क्या है प्यार व दोस्ती

जब-जब आप जिसके साथ रहते हो उस समय आप उनकें बहुत नजदीक फील करते हो धीरे-धीरे आप जब उनसें अलग होते हो दुरिया अपने आप बढ़ती जाती है…..दोस्तों में आपको कहीं ये नहीं कह रहा कि दोस्तीं गलत है या हमारे दोस्त गलत है…ये तो अपनी परिस्थिति का खेल है….वक्त के साथ बहुत कुछ बदलता जाता है….

अब हम बात करते है प्यार की… दोस्तों वैसे प्यार की शुरूआत बहुत से ढ़ंग से होती है कभी-कभी हमें किसी को देखकर एक अलग सा एहसास होता है उसे हम प्यार कहते है….प्यार का कोई माध्यम नहीं होता वो हमारे अंदर विपरीत लिंग के प्रति एक आकर्षण होता है…..वैसे प्यार और भी कई तरीके का होता है जो अपने परिवार से भी होता है….जानवरों से भी होता है…किसी निर्जीव वस्तु से भी हो सकता है जैसे मोबाइल फोन…..

वैसे दोस्ती से प्यार में हम जल्दी आ जाते है…..हम किसी को भी अपना दोस्त तभी मानते है जिनसे हमारी आदते मिलती हो और हम एक दुसरे के साथ अच्छा लगता हो ओर हम अपने दिल की बांते उनसे अच्छे से शेयर कर सके…..दोस्तों हम जितना वक्त अपने दोस्त के साथ बिताते है धीरे-धीरे हमें उनके साथ ही आदत लग जाती है….फिर धीरे-धीरे वो प्यार में तबदील हो जाता है…हमें ऐसा लगता है मानों उसके बिना हमारा पुरा संसार अधुरा है….

वैसे आजकल प्यार को बहुत गलत तरीके से लिया जाता है असल में प्यार को समझना इतना आसान नहीं है…..पर अगर सच्चा प्यार है तो आपके पार्टनर से आपका कोई स्वार्थ नहीं होगा….इसका मतलब सहीं से समझना…ये वो स्वार्थ है जब आप अपने पार्टनर के लिए जो कुछ भी करेंगे वो निस्वार्थ होगा……

जीवन दर्शन पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद….आगे ओर भी इस मुद्दे के बारे में बात करेंगे…..साथ ही दोस्तों में आपको बता दूं कि ये मेरी सोच है आप अगर कुछ भी कहना चाहते है तो कमेंट जरूर करे….

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