how to change your destiny by jivandarshan

परमात्मा के जप से प्रारब्ध कैसे बदले (how to change your destiny)

how to change your destiny

how to change your destiny – हम अपने आस-पास देखते है तो पाते है कि कुछ व्यक्ति रोज घंटा दे घंटा पुजा पाठ करते है । परमात्मा के नाम का जप करते है फिर भी हम उसे दुःखी पाते है।

तो हमारे मन में यह प्रश्न उठता है कि ऐसा क्यों जबकि दुसरी ओर परमात्मा का नाम नहीं लेने वाला अर्थात नास्तिक हर क्षेत्र में सफलता अर्जित करता हुआ तथा सुखी नजर आता है।

इस कारण बहुत से लोग यह कहते सुने जाते है कि “धार्मिक व्यक्तियों को धक्का मिलता है जबकि पापिओ को पालने में झुलने मिलता है। इस कारण बहुत से व्यक्ति परमात्मा के नाम का जप नहीं करते है। किसी व्यक्ति को इस जन्म में दुःख व सुख उसके प्रारब्ध के कारण मिलता है ।

वेदान्त के ग्रन्थों में लिखा है कि परमात्मा के दर्शन हो जाय अर्थात ज्ञान प्राप्त हो जाय फिर भी प्रारब्ध का फल इंसान को भोगना ही पड़ता है। ज्ञान प्राप्ति से संचित और क्रियमाण कर्मो का नाश होता है परन्तु प्रारब्ध का नाश नहीं होता। how to change your destiny

अर्थात ज्ञान से प्रारब्ध बड़ा है इसलिए संत व महापुरूष कष्ट सहन करते दिखाई पड़ते है ।

मैंने कई व्यक्तियों को देखा जिन्होने परमात्मा का अनुभव कर लिया परन्तु प्रारब्ध के कारण जो परेशानी आती है उसे भोगना ही पड़ता है तो विधाता ने जो प्रारब्ध लिखा है उसे क्या मिटाया जा सकता है ?

“ दास बोध” ग्रन्थ में रामदास स्वामी ने लिखा है कि व्यक्ति पराये अन्न का त्याग करे ब्रहृमचर्य का पालन करे तथा नियमित प्रभु के नाम का जप कर तो प्रारब्ध को बदला जा सकता है परन्तु पॉच दस माला रोज जपने से प्रारब्ध का क्षय नहीं होता। प्रारब्ध क्षय करने के लिए बहुत अधिक मात्रा में जप करने पड़ते है।

जप करने पर भी जप का फल बहुत बार प्राप्त नहीं होता क्योंकि पूर्वजन्म के पाप अधिक होते है तथा उनका नाश हो रहा होता है। व्यक्ति का एक भी जप बेकार नहीं जाता।

जन्म कुण्डली में बारह घर होते है –

प्रथम स्थान तनु स्थान है अर्थात शरीर का सुख-दुख इस भाव से देखा जाता है यदि एक करोंड जप व्यक्ति करे तो उसे शरीर की बीमारी नहीं होती तथा यदि हो तो दुर हो जाती है।

द्वितीय स्थान धन,कुटुम्ब व वाणी का है यदि व्यक्ति दो करोंड़ जप करे तो उसका दुसरा भाव अच्छा हो जाता है अर्थात धनसुख मिलता है,कुटुम्ब का सुख मिलता है तथा वाणी अच्छी हो जाती है तथा दरिद्रता दुर हो जाती है।

तृतीय भाव पराक्रम का है। यदि तीन करोंड़ जप व्यक्ति करे तो उसके पराक्रम में वृद्धि होती है वह जो भी कार्य हाथ में ले उसमें सफलता मिलती है तथा यश-कीर्ति मिलती है।

चतुर्थ भाव सुख का भाव है तथा माता,भूमि,भवन व वाहन सुख से सम्बन्धित है यदि व्यक्ति चार करोड़ जप करे तो उसे वाहन सुख ,भूमि व मकान का सुख प्राप्त होता है ।

पॉचवा भाव विद्या,बुद्धि व संतान का है यदि व्यक्ति पॉच करोंड़ जप करे तो उसकी बुद्धि में ज्ञान का उदय होता है प्रारब्ध का लाभ मिलना प्रारब्ध हो जाता है,विद्या की प्राप्ति होती है व संतान सुख बढ़ता है ।

छठा भाव मौसाल व शत्रु व ऋण का भाव है। छः करोंड़ जप करने पर व्यक्ति सभी ऋण से मुक्त हो जाता है तथा शत्रु समाप्त हो जाते है अर्थात मन में काम,क्रोध,राग-द्वेश,अहंकारमुक्त अहंकार आदि जो शत्रु है उसका नाश हो जाता है।

सप्तम स्थान पति-पत्नि का है यदि व्यक्ति सात करोंड जप करे तो पुरूष है तो उसे अखण्ड स्त्री सुख तथा स्त्री है तो उसे अखण्ड पुरूष सुख प्राप्त होता है।

अष्टम स्थान आयु व पुरातत्व सुख का है आठ करोंड जप करने पर व्यक्ति की अप-मृत्यु टल जाती है व पूर्णायु प्राप्त करता है तथा पुरातत्व सुख अर्थात पैत्रक संपदा को प्राप्त करता है।

नवम भाव धार्मिकता का है न भाग्य का है नौ करोंड जप करने पर व्यक्ति का भाग्योदय होता है तथा उसे स्वप्न में देव पुरूष के दर्शन होते है। तथा सगुण देवता का साक्षात्कार होने लगता है।

दस करोंड जप करे तो संचित कर्म का नाश ग्यारह करोंड जप करे तो क्रियमाण कर्म का नाश तथा बारह करोंड जप करने पर प्रारब्ध का नाश संभव है।

इसलिए प्रभु के नाम का सुमिरन चौबीसो घंटे करना है जप करते-करते ही सोना है ताकि जब आप सो जाए तब भी जप चलता रहे।
यदि चौबीसो घंटे प्रभु का सुमिरन करोंगे तो सारा प्रारब्ध समाप्त हो जाता है अर्थात विधाता का लिखा हुआ भी बदला जा सकता है।

बलदेव रावल

अस्तु श्री शुभम

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