अर्जुन में करूणा उत्पन्न होना गलत कैसे है ?(bhagvad geeta ka updesh in hindi)

अध्याय प्रथम (bhagvad geeta ka updesh in hindi) श्लोक 26 से 27 तत्रापश्यत्स्थितान्पार्थः पितृ़नथ पितामहान्। आचार्यान्मातुलान्भ्रातृ़न्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा।।26।। श्वशुरान्सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि। तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्बन्धूनवस्थितान् ||27 का पूर्वार्ध||

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श्री मद् भगवद्गीता प्रथम अध्याय – श्लोक 24 से 25 “एवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत | सेनयोरूभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम् ||24|| भीष्मद्रोणप्रमुतः सर्वेशां च महीक्षिताम् | उवाच

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प्रथम अध्याय – श्री मद् भगवद्गीता श्लोक 20 से 23 “अथ व्यवस्थितान्दृष्टा धार्तपराष्ट्रान् कपिध्वजः | प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरूघम्य पाण्डवः||20|| “हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते | सेन्योरूभयोर्मध्ये

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श्रीमद् भगवद्गीता अध्याय प्रथम-Benefits of shankh playing in hindi Benefits of shankh playing in hindi-प्रथम अध्याय – श्लोक 14 से 19 “तत: श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने

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श्रीमद् भगवद्गीता अध्याय प्रथम-duryodhna ne apni sena mai utsah kaise bhara प्रथम अध्याय – श्लोक 11 से 13 “अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिता: | भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्त:

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श्रीमद् भगवत् गीता प्रथम अध्याय प्रथम अध्याय – श्लोक 4 से 10“अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि |युयुधानो विराटश्र्च द्रुपदश्र्च महारथ: ||4||धृष्टकेतुश्चेकितान: काशिराजश्र्च वीर्यवान् |पुरूजित्कुन्तिभोजश्र्च शैब्यश्र्च

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श्रीमद् भगवत् गीता प्रथम अध्याय श्रीमद् भगवद्गीता प्रथम अध्यायश्लोक – 2संजय उवाच –दृष्टवा तु पाण्डवानीकं व्यूढ़ं दुर्योधनस्तदा |आचार्यमुपसंगम्य द्रपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ||2||संजय बोले –दुर्योधन

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श्रीमद् भगवत् गीता प्रथम अध्याय ।। ऊँ श्री गुरूवे नम: ।।श्रीमद् भगवत् गीता।। अथ प्रथमोअ्ध्याय :।।धृतराष्ट्र उवाच :-धर्मक्षेत्रे कुरूक्षेत्रे समवेता युयुत्सव: ।मामका: पाण्डवाश्र्चैव किम कुर्वत

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