ताकत नहीं हैं तो क्या करें जिससे लोग आपको शक्तिशाली समझें ? जानें चाणक्य के ऐसे ही 9 सूत्र
• जो समय बीत गया, उसे याद कर पछताना व्यर्थ है. अगर आपसे कोई गलती हो गई तो उससे शिक्षा लेकर वर्तमान को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि भविष्य को संवारा जा सके.
• जो धन बहुत ज्यादा कष्टों के बाद मिले, जिसके लिए अपने धर्म का त्याग करना पड़े, जिसके लिए शत्रुओं की खुशामद करनी पड़े या उनकी सत्ता के अधीन होना पड़े, उस धन का कभी मोह नहीं करना चाहिए.
• अगर किसी कार्य को प्रारंभ करो तो तीन बातों को सदैव ध्यान में रखो– यह कार्य मैं क्यों करना चाहता हूं? इस कार्य का क्या परिणाम होगा और क्या इसमें मुझे सफलता मिलेगी?
• कोई सर्प विषैला नहीं है तो भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए. क्योंकि अगर उसने स्वयं को विषहीन सिद्ध कर दिया तो उसके प्राण संकट में पड़ जाएंगे. इसी प्रकार कोई व्यक्ति शक्तिहीन है तो उसे अपनी कमजोरी का प्रदर्शन करने से बचना चाहिए.
• किसी पदार्थ की सुगंध के प्रसार के लिए उसे हवा की जरूरत होती है लेकिन व्यक्ति का गुण या योग्यता किसी हवा के मोहताज नहीं होते. वे सभी दिशाओं में फैल जाते है .
• किसी के अधीन होना कष्टदायक है लेकिन उससे भी ज्यादा कष्टदायक है दूसरे के घर में रहना.
• जो मित्र आपके सामने मीठी-मीठी बातें करता है और पीठ पीछे कार्यो को बिगाड़ता है, उसका त्याग करने में ही भलाई है. वह मित्र उस बर्तन के समान है, जिसके ऊपर के हिस्से में दूध है और अंदर भयंकर विष.
• किसी भी कमजोर व्यक्ति से शत्रुता करना ज्यादा खतरनाक है. वह उस समय वार कर सकता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते.
• जैसे हजारों पशुओं के बीच भी बछड़ा अपनी माता के पास ही जाता है, उसी प्रकार हे मनुष्य, तुम्हारे किए हुए कर्मो के फल भी इस जगत में तुम्हें ढूंढ लेंगे