क्या आप जानते हैं कैसे मां बाप अपने बच्चों के लिए दुश्मन से कम नहीं होते..?

आचार्य चाणक्य ने जीवन के कई सूत्र बताए हैं. हजारों साल बाद आज भी ये सूत्र मनुष्यों के लिए प्रासंगिक हैं. मित्रता से लेकर शिक्षा तक और रिश्तों से लेकर दुश्मनी तक जीवन के हर पहलू से जुड़े हैं उनके ये सूत्र आइए देखते हैं क्या कहते हैं चाणक्य..   

  • वे माता-पिता अपने बच्चों के लिए शत्रु के समान हैं, जिन्होंने बच्चों को ‍अच्छी शिक्षा नहीं दी. क्योंकि अनपढ़ बालक का विद्वानों के समूह में उसी प्रकार अपमान होता है जैसे हंसों के झुंड में बगुले की स्थिति होती है. शिक्षा विहीन मनुष्य बिना पूंछ के जानवर जैसा होता है, इसलिए माता-पिता का कर्तव्य है कि वे बच्चों को ऐसी शिक्षा दें जिससे वे समाज को सुशोभित करें.



  • चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अच्छा मित्र नहीं है उस पर तो विश्वास नहीं करना चाहिए, परंतु इसके साथ ही अच्छे मित्र के संबंध में भी पूरा विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि यदि वह नाराज हो गया तो आपके सारे भेद खोल सकता है. अत: सावधानी अत्यंत आवश्यक है.
  • चाणक्य के अनुसार नदी के किनारे स्थित वृक्षों का जीवन अनिश्चित होता है, क्योंकि नदियां बाढ़ के समय अपने किनारे के पेड़ों को उजाड़ देती हैं. इसी प्रकार दूसरे के घरों में रहने वाली स्त्री भी किसी समय पतन के मार्ग पर जा सकती है. इसी तरह जिस राजा के पास अच्छी सलाह देने वाले मंत्री नहीं होते, वह भी बहुत समय तक सुरक्षित नहीं रह सकता. इसमें जरा भी संदेह नहीं करना चाहिए.
  • चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह वेश्या धन के समाप्त होने पर पुरुष से मुंह मोड़ लेती है. उसी तरह जब राजा शक्तिहीन हो जाता है तो प्रजा उसका साथ छोड़ देती है. इसी प्रकार वृक्षों पर रहने वाले पक्षी भी तभी तक किसी वृक्ष पर बसेरा रखते हैं, जब तक वहां से उन्हें फल प्राप्त होते रहते हैं. अतिथि का जब पूरा स्वागत-सत्कार कर दिया जाता है तो वह भी उस घर को छोड़ देता है.
  • बुरे चरित्र वाले, अकारण दूसरों को हानि पहुंचाने वाले तथा अशुद्ध स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के साथ जो पुरुष मित्रता करता है, वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है. आचार्य चाणक्य का कहना है मनुष्य को कुसंगति से बचना चाहिए. वे कहते हैं कि मनुष्य की भलाई इसी में है कि वह जितनी जल्दी हो सके, दुष्ट व्यक्ति का साथ छोड़ दे.
  • चाणक्य कहते हैं कि मित्रता, बराबरी वाले व्यक्तियों में ही करना ठीक रहता है. बराबरी से यहा तातपर्य है सामान प्रतिष्ठा, धन, ज्ञान, विचार वाले स्वछंद लोगो से मित्रता. राज्य संबंधी (सरकारी) नौकरी सर्वोत्तम होती है और अच्छे व्यापार के लिए व्यवहारकुशल होना आवश्यक है. इसी तरह सुंदर व सुशील स्त्री घर में ही शोभा देती है

 

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