Know what chanakya said about women-आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख शिष्य को भली बात के लिए प्रेरित नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार दुष्ट आचरण करने वाली स्त्री का भरण-पोषण करना अनुचित है
और दुःखी व्यक्तियों के पास उठने-बैठने से,उनसे व्यवहार करने से पण्डितों अर्थात् बुद्धिमान पुरूषों को भी कष्ट उठाना पड़ता है।
इस बात को अत्यधिक गंभीरता पूर्वक समझें- सोए हुए व्यक्ति को जगाया जा सकता है,जागे हुए को नहीं।
इसी प्रकार किसी अज्ञानी को आप ज्ञान बोध करा सकते है,किन्तु जो मूर्ख है और स्वयं को ज्ञानी समझता है,
उसे उसे आप उसके हहित की बात भी कहेंगे तो वह मूर्ख क्रोध अथवा अहंकार वश आपका ही अहित करेगा। इस बात को पंचतंत्र में जो आचार्य चाणक्य द्वारा ही लिखी गई है।
इस कथा के माध्यम से बताया गया है –Know what chanakya said about women
बरसात के मौसम में कहीं से एक बंदर एक वृक्ष पर आया। चिड़िया अपने घोंसले में दुबकी बैठी थी।
बंदर को ठंड़ से काँपते देखकर उसे तरस आ गया। चिड़िया ने उसे सीख दी कि तुम्हें ईश्वर ने हाथ दिए है,अपना कोई घर क्यों नहीं बनाते।
इस पर मूर्ख बंदर को लगा कि चिड़ियां उसका उपहास कर रही है। अतः क्रोधित होकर उसने चिड़िया का घोंसला नष्ट कर डाला। इसलिए चाणक्य कहतें है कि मूर्ख को उपदेश मत दो।
चाणक्य नीति – अगर विद्यार्थी ध्यान रखे ये बाते तो उन्हे सफलता जरूर मिलेंगी…
कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को किसी भी बात का ज्ञान नहीं है,उसे प्रत्येक बात सरलता से समझाई जा सकती है,
जो व्यक्ति बहुत कुछ जानता हो,चतुर हो,उसे कोई भी बात सरलतापूर्वक समझाई जा सकती है,किन्तु मूर्ख व्यक्ति को कोई भी बात समझाना अत्यंत कठिन है।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि दुष्ट स्त्री काका संग करना अथवा उसका पालन-पोषण करना भी दुख का कारण बन सकता है।
आचार्य चाणक्य की यह बात बड़ी ही गूढ़ है । जिसकी पत्नी दुष्ट है,उसका जीवन नर्क है।
महान दार्शनिक सुकरात की पत्नी बड़ी दुष्ट थी, सुकरात जीवन भर उसके अत्यचारों से त्रस्त रहे। ऊपरी तौर पर वे शान्त दिखते थे, किन्तु उनके मन की सही स्थिति कौन जान सकता था।
इसी बात को दूसरे संदर्भ में भी लियाबड़ जा सकता है । यहाँ कदाचित आचार्य का संकेत उन स्त्रियों के लिए भी हो सकता है जो अपने पति के साथ विश्वासघात करती है।
ये पोस्ट चाणक्य नीति एवं सूत्र संग्रह से ली गयी है।