“जीवन में खुश रहना एक कला है” मेंरे इस वाक्य से आपको शायद ही कुछ समझ आया होगा वैसे दोस्तो ये जितना बोलने में आसान है उतना ही करने मे…
जैसे में आपको समझाता हुं आप कभी कभी खुद को बहुत ही अकेले या खुद को दुनिया से अलग फील करते होगें पर क्या आपने सोचा है ऐसा क्यो होता है…क्या आपने ये सोचा है कि बहुत सी बार हम खुश ना होते हुए भी दुनिया के सामने खुशी का ढ़ोग करते है…पर ऐसा करना गलत है.क्या आपको ये पता है कि हमारे इस दुख की वजह क्या है जो असल में दुख है ही नहीं….हमने अपने आप को दुखी करने का बेड़ा उठाया हुआ है..
खुश रहना भी एक कला है (Khush Rahna Bhi ak kala hai in hindi)
अब में आपको बताता हु कि खुश कैसे रहा जाए….
1) सबसे पहले तो आप अपने आप को दुनिया से अलग कर ले….मतलब की आप अपने आस -पास के वातावरण को अपने ऊपर ना हावी होने दे और दुनिया से अपने आप को कुछ अलग फील करे …
2) खुद को सबसे ऊपर या खुद को सबसे महान समझे पर इस बात का ख्याल रहे कि ये किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए की आप ऐसा सोच रहे है…
3)जो काम आप कर रहे है ….जो भी काम हो उसे उस तरीके से करे जैसा कि वो काम दुनिया का कोई भी व्यक्ति ना कर सके.
4) हमारे अंदर बहुत सी कमीयां होती है….वो हम सब जानते है पर उनको दुर करने के लिए हम कभी प्रयास नहीं करते….
मेरे इन चार पोइंट्स पर काम करे इसके बाद क्या करना है वो में आपको अपनी अलग पोस्ट में बताऊगा…..
कुछ नया पाने के लिए थोड़ा सब्र रखे
Good.. .this is spichurual trooth