Man ko shant kaise rakhe in hindi – मन में हमेशा हजारों विचार एक के बाद एक आते रहते है । तथा व्यक्ति जब मन को शांत करने बैठता है या ध्यान लगाने बैठता है तो उसे ऐसा लगता है कि विचारों की एक आंधी उत्पन्न हो गई हो
सामान्यतः इतने विचार उसको नहीं आते परन्तु जैसे ही ध्यान में बैठता है तो अवचेतन में दबे ऐसे-ऐसे विचार निकल कर सामने आते है कि व्यक्ति हतप्रद सा रह जाता है
तथा विचारो की भीड़ से घबरा कर ध्यान से उठ जाता है तथा उसे ऐसा महसुस होने लगता है कि मन को शांत करना बहुत मुश्किल कार्य है।
मन कभी भुतकाल की घटी घटना,भविष्य की योजनाएं आदि बनाने का आदि हो चुका है तथा मन को कभी खाली रहने की आदत नहीं है।
मन को शांत कैसे करे
अतः मन ऐसा ही व्यवहार करता है जैसा करने की हमने आदत बना दी है हम जानते है कि कोइ भी आदत हो उसे एकदम से बदलना मुश्क्लि होता है परन्तु नामुमकिन नहीं।
निश्चित मानियें की मन को शांत करना व विचार शुन्य करना कोई मुश्किल कार्य नहीं है हमसे पहले कई लोगो ने मन की लगाम खींच कर उसे शांत किया है अतः हम भी मन को शांत कर सकते है।
जैसे ही हम मन को शांत करना सीख जाते है तो जिस कार्य में हमारी रूचि नहीं थी या हमें उस कार्य को करने में अच्छा महसुस नहीं होता था उस कार्य को करने में भी आनंद आने लगता है
मैंने पहले लेख में बताया है कि मन को शांत करने का सबसे श्रेष्ठ उपाय मन को वर्तमान में रखना है।
Man ko shant kaise rakhe in hindi
यदि मन को शांत करना है तो उसकी भुतकाल तथा भविष्य की उड़ान बंद करनी पड़ेगी उसके लिए मन को शांत करने की प्रेक्टिस केवल ध्यान में बैठते वक्त हीं नहीं करनी बल्कि हरदम मन को कन्ट्रोल करने की प्रेक्टिस करनी है।
जो भी कार्य करो उसमें डुब जाओ। जैसे पानी पीना हो तो गिलास में पानी लेकर घुट-घुट पानी का स्वाद लेकर पीओ पानी को पुरा महसुस करो अपनी समस्त इन्द्रियाँ पानी पीने में लगा दो।
चाय पी रहे हो या कोई शरबत पी रहे हो तो पुरा ध्यान उसको पीने या स्वाद लेने में लगा दो।
अशांत मन को शांत कैसे करे ( Man aur dimag ko shant kaise kare in hindi)
खाना खा रहे हो तो खाने के प्रत्येक कौर के प्रति जाग्रत रहते हुए उसका पुरा का पुरा स्वाद लो भोजन करने में इतना खो जाओ की मन पुरा भोजन का स्वाद लेने में लग जाये कोई तुम्हे पुकारे तो भी सुनाई नहीं पड़े।Man ko shant kaise rakhe in hindi
जैसे कोइ रूचिकर पुस्तक आप पढ़ रहे हो तथा कोई टीवी में तुम्हारा मन पसंद प्रोग्राम आ रहा होता है तो तुम उसमें इतना खो जाते हो कि कोई तुम्हे पुकारे तो भी तुम्हे सुनाई नहीं पड़ता।
कई बार ऐसा होता है कि तुम भोजन करने बैठे तो मन तुरन्त भुतकाल में दौड़ जाता है कि ऐसा भोजन तुमने पहले किया था बहुत मजा आया था या तुम सोचने लगते हो कि इतना स्वादिष्ट भोजन बना है
मेरे मित्र को भी बुलाऊंगा तथा भोजन करवाऊंगा तथा वह खुश होगा तो यह मनोराज है मन कही भी श्रंखला बना लेता है यदि मन भुतकाल या भविष्य में भागना चाहे तो पुरा ध्यान वर्तमान पर लगाना है।
आपका पुरा ध्यान उसके स्वाद लेने में लगा देना है धीरे-धीरे मन को वर्तमान में रहने की आदत पड़ने लगेगी तथा मन को आनंद आने लगेगा यदि तुम बिना शक्कर की चाय भी पियोंगे तो भी दुध की जो मिठास होती है उसे महसुस करने लगोगे।
किसी भोजन में नमक या मिर्च कम पड़ा है तथा वह स्वाद हीन है तो भी उसका स्वाद तुमको आने लगेगा तथा तुम्हारा जीवन आनंददित हो जायेगा ध्यान में बैठने पर प्रारम्भ में मन यदि इधर-उधर भागने का प्रयत्न करे तो उसे श्वास पर लगा दे।
श्वास का आना जाना महसुस करे श्वास से जुड़ने पर मन को वर्तमान में रहने की प्रेक्टिस हो जायेगी क्योंकि श्वास वर्तमान में चलती है यदि मन श्वास से हट जाय तो तुरन्त वापस मन को श्वास पर लगावे।
श्वास के साथ मन लगाने पर श्वास जहाँ से गुजरता है उसके मार्ग में आने जाने पर मार्ग में होने वाले घर्षण से जो आनन्द प्राप्त होता है उसे भा अनुभव करने लगेंगे तथा मन शांत होने लगेगा
———————————अस्तु श्री शुभम्———————————————-