अनहद नाद को कैसे सुने ?-anahat naad
anahat naad-नाद को किसी भी अवस्था में अर्थात कुर्सी पर बैठकर, चलते-फिरते,पालथीमार बैठकर तथा सोते-सोते किसी भी स्थति में बैठकर इसे सुना जा सकता है परन्तु कुर्सी पर बैठकर ,
पालथीमार कर बैठ कर या किसी भी आसन में बैठकर जिसमें रीढ़ की हड्डी सीधी रहे सुनना अच्छा होता है।
सोते-सोते भी नाद का अभ्यास किया जा सकता है परन्तु धीरे-धीरे सोकर अभ्यास करने से व्यक्ति आलसी हो जाता है उसमें तमोगुण बढ़ जाता है तथा कब नींद हावी हो जाती है पता हीं नहीं चलता।
व्यक्ति समझता है कि वह नाद सुनने की प्रेक्टिस कर रहा है तथा वह नींद के आगोश में समा जाता है
जिससे जल्दी सफलता नहीं मिलती अतः किसी भी आसन में बैठे अपनी रीढ़ की हड्डी अर्थात मेरूदण्ड़ को सीधा रखकर अभ्यास करने से तमोगुण आप पर हावी नहीं हो सकता तथा आप एक्टिव रहते है।
कई-कई शास्त्रों में लिखा है कि नाद बांये कर्णमुल से सुनाई पड़े तो अच्छा नहीं रहता तथा व्यक्ति को मृत्युप्राप्त हो सकती है
परन्तु सत्य यह है कि चाहे बांये कान से या दायें कान से ,नाद किसी भी कान से सुनाई पड़े तो कोई नुकसान नहीं होता ।
क्योंकि नाद तो अंदर से पैदा होता है तथा कान से हम नहीं सुनते क्योंकि बाहर की ध्वनि को सुनने के लिए कान है जबकि नाद कर्ण मुल से सुनाई देता है अतः नाद दाये सुनाई पड़े या बाये आपको घबराना नहीं है नाद तो परमात्मा की आवाज है ।
प्रारम्भ में कोशिश करे किसी एकांत जगह पर बैठे जहाँ शोर कम हो यदि बाहरी शोर आपको डिस्टर्ब कर रहा हो तो आप कान में रूई लगा सकते है या ear plugs लगा सकते हे|
अपनी तर्जनी अंगुली को दोनो कानों पर लगा सकते है या अंगुठे से अपने कानो को बंद कर सकते है तर्जनी अंगुली व अंगुठे से कान बंद करने पर हाथ थोड़े समय में दुखने लग जाते है अतः सामने स्टुल रखकर उस पर कोहनी टिकाकर कान बंद करे।
यह प्रारम्भिक अभ्यास के लिए है जब आपको नाद सुनाई देना प्रारम्भ हो जायेगा तो मन को कांनों की ओर लगाते ही नाद सुनाई देने लग जायेगा।
आप घूमते-फिरते हर समय नाद को सुन सकेंगे परन्तु सुक्ष्म स सुक्ष्मतर ध्वनि को सुनने के लिए अर्थात परमात्मा का अनुभव करने के लिए तथा समाधी का अनुभव करने के लिए बैठकर अभ्यास अच्छा रहता है ।
चलते –फिरते नाद तो सुनाई पड़ता है उससे तनाव मुक्ति या छोटे-मोटे लाभ आप प्राप्त कर सकते है परन्तु समाधी के अनुभव के लिए तथा स्वयं को पहचानने के लिए बैठकर अभ्यास करने से शरीर की सारी बीमारीयाँ दुर हो जाती है।
व्यक्ति कोई भी कार्य करे उसमें सफलता प्राप्त करता है तथा सुखी रहता है। नाद सुनने का अभ्यास कोई भी कर सकता है चाहे वह बच्चा हो, जवान हो या बूढ़ा।
किसी-किसी को तो नाद सुनने का अभ्यास करते ही नाद सुनाई देने लग जाता है जबकि किसी को थोड़े दिनों के अभ्यास की आवश्यकता होती है।
ब्रह्माण्ड़ से जुड़ने के लिए नाद अभ्यास बड़ा अच्छा है । कोई भी व्यक्ति जो किसी भी जाति या धर्म का हो इस अभ्यास को कर सकता है।
और अधिक जानकारी के लिए अनहद नाद के दूसरे संस्करण को पढ़े – जानिए परमात्मा को सुनने की सबसे अच्छी विधी “अनहद नाद” क्या है ?
अनहद नाद को पुरा जानने के लिए पढिए ये अनहद नाद
Ati sunder rasta Bhgban ki bhakti ka
धन्यवाद