भोजन का महत्व (Importance of food in hindi)
Importance of food in hindi – खाना, भोजन, लंच, डिनर…शब्द कई उद्देश्य केवल एक, पेट भरना. कई लोगों के लिए ये विषय ही चौंकाने वाला हो सकता है. अजीब सा. दुनिया का शायद ही कोई जीवित प्राणी हो जिसे खाने की जरूरत न पड़ती हो.
पेड़ पौधों से लेकर पशु पक्षियों और कीट पतंगों से लेकर जंगली जानवरों तक. हर कोई कुछ न कुछ खाकर ही ऊर्जा महसूस करता है. ताकत महसूस करता है. कोई हवा खाकर, कोई पानी पीकर तो कोई ठोस या तरल पदार्थ भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं.
चीटीं की मेहनत आपने देखी ही होगी कैसे शक्कर का दाना घर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक ले जाने में मेहनत करती है.
शेर अपने लिए शिकार खुद तलाशता है. मारता है. खा जाता है. इसी तरह हर जानवर का अपना भोजन है. कोई शाकाहारी, कोई मांसाहारी.
हम पशु पक्षियों और जानवरों को छोड़ देते हैं. क्योंकि वे अपना भोजन खुद जुटाने में सक्षम हैं. उतना ही जितनी उन्हें जरूरत है.
बात है इंसानों की. दरअसल सक्षमता ने इंसान को लापरवाही या बेफिक्री दे दी है. हममें से ज्यादातर खाने की वैल्यू समझते हैं लेकिन कई ऐसे भी हैं जिनके लिए उसका कोई महत्व नहीं.
भारत के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा के साथ जर्मनी में एक घटना घटी थी. उन्होंने खुद इसे शेयर भी किया था. यह किस्सा शेयर करते हुए उन्होंने लिखा था
जर्मनी एक विकसित देश है. ऐसे देश में, बहुत से लोग सोचेंगे कि वहां के लोग बड़ी विलासितापूर्ण लाइफ जीते होंगे.
जब हम हैम्बर्ग पहुंचे, मेरे कलीग्स एक रेस्टोरेंट में घुस गए, हमने देखा कि बहुत से टेबल खाली थे. वहां एक टेबल था जहां एक यंग कपल खाना खा रहा था.
टेबल पर बस दो व्यंजन और बियर की दो बोतलें थीं. मैं सोच रहा था कि क्या ऐसा सिंपल खाना रोमांटिक हो सकता है. और क्या वो लड़की इस कंजूस लड़के को छोड़ेगी!
एक दूसरी टेबल पर कुछ बूढी औरतें भी थीं. जब कोई डिश सर्व की जाती तो वेटर सभी लोगों की प्लेट में खाना निकाल देता, और वो औरतें प्लेट में मौजूद खाने को पूरी तरह से खत्म कर देतीं.
चूंकि हम भूखे थे तो हमारे लोकल कलीग ने हमारे लिए काफी कुछ आर्डर कर दिया. जब हमने खाना खत्म किया तो भी लगभग एक-तिहाई खाना टेबल पर बचा हुआ था.Importance of food in hindi
जब हम रेस्तरां से निकल रहे थे तो उन बूढी औरतों ने हमसे अंग्रेजी में बात की. हम समझ गए कि वे हमारे इतना अधिक खाना बर्बाद करने से नाराज थीं.
‘हमने अपने खाने के पैसे चुका दिए हैं. हम कितना खाना छोड़ते हैं इससे आपका कोई लेना-देना नहीं है.’ मेरा कलीग उन बूढी औरतों से बोला. वे औरतें बहुत गुस्से में आ गईं.
उनमें से एक ने तुरंत अपना फोन निकाला और किसी को कॉल की. कुछ देर बाद सामाजिक सुरक्षा संगठन का कोई आदमी अपनी यूनिफार्म में पहुंचा. मामला समझने के बाद उसने हमारे ऊपर 50 यूरो का फाइन लगा दिया. हम चुप थे.
ऑफिसर हमसे बोला, “उतना ही आर्डर करिए जितना आप खा सकें. पैसा आपका है. लेकिन संसाधन सोसाइटी के हैं.
दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो संसाधनों की कमी का सामना कर रहे हैं. आपके पास संसाधनों को बर्बाद करने का कोई कारण नहीं है.
उन लोगों का ये माइंडसेट हम सभी को लज्जित करता है. हमें सचमुच इस पर सोचना चाहिए. हम ऐसे देश से हैं जो संसाधनों में बहुत समृद्ध नहीं है.
क्या खाने की बर्बादी हजारों लोगों के पेट की भूख मिटा सकती है
शर्मिंदगी से बचने के लिए हम बहुत अधिक मात्रा में आर्डर कर देते हैं और दूसरों को खाना खिलाने में बहुत सा खाना बर्बाद कर देते हैं.
ये कहानी हर किसी के जीवन का हिस्सा हो सकती है. मेरे, आपके या हमारे आसपास किसी और के.
तो हमें क्या करना चाहिए ?
साधारण सी बात है खाने की बर्बादी हजारों लोगों की पेट की भूख मिटा सकती है.
यदि रुपयों में बात को समझना चाहें तो भारत में 50 हजार करोड़ रुपए का खाना साल भर में बर्बाद होता है.
इस रकम से 10 करोड़ बच्चों की जिंदगी संवारी जा सकती है
40 लाख लोगों की गरीबी को दूर किया जा सकता है
और 5 करोड़ लोगों के खाने की गारण्टी तय की जा सकती है यानी उन्हें खाना मिलेगा ही मिलेगा.
तय आपको करना है खाने की बर्बादी की कीमत आप कैसे चुकाना चाहते हैं. खाने को बर्बाद करके या फिर उसे किसी भूखे पेट में पहुंचाकर
वैसे ये भी बता दें कि दुनिया भर में हर साल 130 करोड़ टन खाना बर्बाद होता है
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यदि ये खाना गरीबों और फूड बैंक को दे दिया जाए तो 2 अरब लोगों की भूख मिट सकती है.
दुनिया भर में हर दिन 20 हजार बच्चे भूखे रहते हैं. और दुनिया का हर 7वां व्यक्ति भूखा सोता है.
इन आंकड़ों को बताने का मकसद यही है कि खाना उतना ही खाएं जितनी जरूरत है. थाली या प्लेट में खाना छोड़ने से बचें
यदि आप ऐसा करना शुरू कर देंगे तो यकीन मानिए आपको अच्छा लगेगा
पैसा बड़ी चीज है. यह बर्बादी भी सिखाता है. लेकिन भूख उससे भी बड़ी होती है. यह बताती है कि जिंदगी उसकी कितनी मोहताज है.
इससे ज्यादा कुछ कहना सूरज को रोशनी दिखाने जैसा होगा. इसलिए शब्दों को यही विराम देता हूं.
उम्मीद करता हूं कि यदि आप भी 130 करोड़ टन खाने का हिस्सा हैं तो उससे बाहर आएंगे और उन 2 अरब लोगों के लिए खाने की बर्बादी रोकेंगे जो हर दिन भूखे पेट सो रहे हैं.