Lal kitab ke tautke-कुण्डली में कोइ भाव सोया हुआ हो तो उस भाव से सम्बन्धित फल व्यक्ति को प्राप्त नहीं होते है। कई बार किस्मत का ग्रह सोया हुआ हो तो व्यक्ति कितना ही कठोर परिश्रम करे उसे सफलता प्राप्त नहीं होती।
परिश्रम के पश्चात् भी फल प्राप्त न होना कई बार भाव या ग्रह के सोये रहने का कारण होता है।
लाल किताब में कुण्डली के बारह भावों को दो भाग में बांटा गया।
पहले घर – प्रथम भाव से छठे भाव तक
बाद के घर – सप्तम भाव से द्वादश भाव तक पहले छः भावों में कोइ ग्रह नहीं हो तो बाद के छः भावो (7H से 12 H ) में बैठे ग्रह सोये हुए माने जाते है।
यदि बाद के घर (7 H से 12 H ) में कोइ ग्रह नहीं हो अर्थात खाली हो तो पहले घर (1H से 6H) में बैठे ग्रह सोये हुए माने जाते है।
जिस भाव में कोइ ग्रह नहीं हो तथा जिस भाव पर किसी भी ग्रह की दृष्टि नहीं हो तो उस भाव को सोया हुआ माना जाता है।
अर्थात उस भाव से संबधित फल व्यक्ति को पूर्ण रूप से तब तक नहीं मिलेंगे जब तक उस भाव को जाग्रत नहीं किया जाय।
यदि किसी ग्रह की दृष्टि में कोइ ग्रह नहीं हो तो वह ग्रह सोया हुआ कहलाता है। परन्तु सोया हुआ ग्रह उस भाव में कैद होगा तथा वह ग्रह अपना प्रभाव उस भाव तक ही सीमित रखेगा।
Lal kitab ke totke in hindi (लाल किताब से कुण्डली कैसे बनाए )
यदि कोइ ग्रह अपने पक्के घर (भाव) में बैठा हुआ हो तो वह पुरी तरह से जागा हुआ माना जायेगा तथा उसका प्रभाव अपने भाव तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि वह अन्य भावो व ग्रहों को भी अपना प्रभाव देने में समर्थ रहेगा।
यदि सोया हुआ ग्रह शुभ फल देने वाला हो तो उसे अवश्य जगाना चाहिए परन्तु यदि सोया हुआ ग्रह अशुभ फल देने वाला हो तो उसे नहीं जगाना चाहिये।
यदि 10 वें भाव में कोइ ग्रह नहीं है तो 2 रे भाव में बैठे ग्रह सोये हुए माने जायेंगे।
यदि 2 रे भाव में कोइ ग्रह नहीं है तो 10 वे भाव में बैठे ग्रह सोये हुए माने जायेंगे।
यदि दुसरे भाव में कोइ ग्रह नहीं है तो 9 वें भाव में बैठे ग्रह सोये हुए माने जायेंगे।
सोया हुआ घर नम्बर | कौनसा ग्रह जगायेगा |
1 | मंगल |
2 | चंद्र |
3 | बुध |
4 | चंद्र |
5 | सूर्य |
6 | राहु |
7 | शुक्र |
8 | चंद्र |
9 | गुरू |
10 | शनि |
11 | गुरू |
12 | केतु |
यदि बिना जगाये हुए यदि सोया हुआ ग्रह स्वतः ही जाग उठे अर्थात अपना फल देना प्रारम्भ कर दे तो जागे हुए ग्रह की उम्र के आखिरी वर्ष में वह सभी ग्रहो के फल को मंदा कर देती है चाहे वह ग्रह जागे हुए ग्रह के मित्र हो या शत्रु।
जब व्यक्ति से 16 से 21 वर्ष की आयु में अपने स्वयं का व्यापार करता है या नौकरी करना शुरू करता है तब सोया हुआ गुरू ग्रह स्वतः ही जाग जाता है तथा गुरू ग्रह अपना मंदा असर 22 वे वर्ष में देता है।
जब व्यक्ति 22 वे वर्ष के बाद कोई सरकारी नौकरी या सरकारी काम करना शुरू करता है तो सोया हुआ सूर्य स्वतः ही जाग जाता है। सूर्य अपना मंदा असर 24 वे वर्ष में देता है।
जब व्यक्ति 24 वे वर्ष की उम्र के बाद पढ़ाई करना प्रारम्भ करता है तब सोया हुआ चन्द्र जाग जाता है चन्द्र अपना मंदा असर 24 वे वर्ष में देता है।
जब व्यक्ति का विवाह 25 वर्ष के बाद हो तो विवाह करने से सोया हुआ शुक्र जाग जाता है। शुक्र अपना मंदा असर 28 वे वर्ष में देता है।
जब व्यक्ति का विवाह 28 वे वर्ष के बाद हो या व्यक्ति किसी अन्य स्त्री से संबंध स्थापित करे तो सोया हुआ मंगल जाग जाता है । मंगल अपना मंदा असर 34 वे वर्ष की उम्र में देता है।
जब व्यक्ति 34 वर्ष के बाद व्यापार शुरू करता है या किसी बहन,बेटी का शादी करता है तो सोया हुआ बुध जाग उठता है। बुध 36 वे वर्ष में अपना मंदा असर देता है।
जब व्यक्ति 36 वर्ष की आयु में अपना मकान बनवाता है तो सोया हुआ शनि जाग जाता है। शनि अपना मंदा असर 42 वे वर्ष में देता है।
जब व्यक्ति 42 वे वर्ष के बाद अपने ससुराल से नजदीकी संबंध स्थापित करता है तो सोया हुआ राहु जाग जाता है राहु अपना मंदा असर 48 वे वर्ष में देता है।
जब व्यक्ति के 42 वे वर्ष के बाद सन्तान होती है तब सोया हुआ केतु जाग जाता है।
केतु अपना मंदा असर 51 वे वर्ष में देता है।
पं. बलदेव रावल
संतोषी ज्योतिष कार्यालय,
डूंगरपुर (राज.)
बहुत बढ़िया। ज्योतिष का गूढ़ रहस्य
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
From- बदलेव रावल
अदभुत
धन्यवाद