Man kya hai in hindi -मन या चेतना को विभाजित नहीं किया जा सकता है मन अनादि एवं अमर है। मन या चेतना को कार्य करने के लिए किसी बाहरी स्त्रोत की आवश्यकता नहीं होती।
यह स्वयं संचालित एवं स्वयं प्रकाश मान है तथा यह अनंतकाल तक कार्य करता रह सकता है। मन या चेतना शरीर से भी ज्यादा शक्तिशाली है मन एवं शरीर एक दुसरे को प्रभावित करते है। शरीर तथा मन को जोड़ने वाली मध्यस्थ शक्ति को प्राण कहा गया है।
मन के तीन स्तर होते है।Man kya hai in hindi
1. चेतन मन (CONSCIOUS MIND)
2. अवचेतन मन (SUB CONSCIOUS MIND)
3. महाचेतन मन (SUPER CONSCIOUS MIND)
शरीर में मन ही ऐसा तत्व है जिसका वेग अनंत होता है यह एक क्षण में काफी लम्बी यात्रा कर सकता है। यह पुरे शरीर का संचालन करता है इसी के कारण मानव संवेदना का अनुभव करता है
तथा वर्तमान में रहकर भुतकाल व भविष्यकाल की कल्पना को भी साकार कर लेता है। मन की शक्ति से असंभव से असंभव कार्य को भी किया जा सकता है।
चेतन मन बाहरी संसार से सम्बन्ध रखता है मानव अपनी ज्ञानेन्द्रियों एवं कर्मेन्द्रियों द्वारा जो भी ज्ञान प्राप्त करता है उसे वह अचेतन मन को देता है।
Man kya hai in hindi
तथा अवचेतन मन में स्मृति सुरक्षित रहती है। यहां तक की पूर्वजन्म की स्मृतियां भी अवचेतन मन में संग्रहित रहती है। अवचेतन मन तक सीधे नहीं पहुंचा जा सकता है इसका रास्ता चेतन मन से होकर गुजरता है।Man kya hai in hindi
हमारा अपना वास्तविक रूप महाचेतन मन है इसे आत्मा भी कहा जाता है। यह शुद्ध,शांति एवं आनंद से परिपूर्ण है। यदि एक क्षण के लिए भी हम इसकी झलक पा लेते है तो आनंद तथा मानसिक शांति एवं प्रेम से परिपूर्ण हो जायेंगे।
जब चेतन मन शांत हो जाता है तथा अवचेतन मन भी शांत हो जाता है तब व्यक्ति को महाचेतन मन आत्मा की झलक मिलती है उसी को ही आत्मसाक्षात्कार कहते है।
मन आत्मा का अभिन्न अंग है वह आत्मा से अलग नहीं है। लोगो का कहना है कि मन अति चंचल है अत: उसे वश में नहीं किया जा सकता परन्तु मेरा मानना है कि उसे नियंत्रण में किया जा सकता है।
आज तक कई लोगो ने मन पर नियंत्रण किया है उन्होंने सतत अभ्यास किया तथा मन पर नियंत्रण स्थापित किया है परन्तु प्रारम्भ में व्यक्ति जब ध्यान में बैठता है तो मन को एक क्षण के लिए भी कंट्रोल में नहीं ला पाता तथा मन की चंचलता के कारण ध्यान में बैचेनी अनुभव करता है तथा जल्दी ध्यान से उठ जाता है।
मन को शांत कैसे रखे ? (Man ko shant kaise rakhe in hindi)
जैसे ही व्यक्ति ध्यान के लिए बैठता है अनचाहे हजारों विचार न जाने कहां से आ जाते है तथा व्यक्ति बैचेन हो जाता है।
यदि आप ध्यान में बैठे तथा विचारों की ऑधी चलने लगे तो घबराए नहीं बैठे रहे तथा सतत अभ्यास जारी रखे। प्रारम्भ में एकाग्रता न बने तो चिंता न करे निश्चित समय पर रोज ध्यान में बैठे तथा शरीर को स्थिर रखने का प्रयास करे।
जैसे-जैसे शरीर में स्थिरता बढेगी विचारों के आने की संख्या कम होने लगेगी तथा विचार थम से जायेंगे तथा किसी एक विचार पर आपका मन एकाग्र हो जायेगा तथा धीरे-धीरे आपका मन निर्विकारी हो जायेगा तथा आप मन पर नियंत्रण स्थापित कर लेंगे।
मन शरीर से जुड़ा हुआ है अत: जैसे आप शरीर को स्थिर करेंगे तो धीरे-धीरे मन भी नियंत्रण में आ जायेगा।