Power of God in hindi-आप इस लेख को पढ़ रहे हो तो आपके मन में जिज्ञासा है कि मैं कौन हुँ जानने की । परमात्मा क्या है ? जानने की। आप मानसिक शांति प्राप्त करना चाहते है ?
Power of God in hindi
इस विश्व में अनेको धर्म प्रचलित है, अनेक गुरू है आप निर्णय नहीं कर पा रहे हो कि मैं गुरू किसे बनाऊ ? क्योकिं शास्त्रों में बताया गया है कि बिना गुरू के कुछ भी पाना संभव नहीं है ?
कोई कहता है कि बादलों से पार हमारी आकाश गंगा से परे कोई ईश्वरीय शक्ति है जो पुरी दुनियां को चला रही है । तो कोई कहता है कि दुनियां में परमात्मा नहीं है।
दुनियां में भाँति-भाँति के मत प्रचलित है कई लोग “लोक देवता” को मानते है । तो कई लोग भत-प्रेत,गंधर्व आदि ईतर योनियों की साधना करते है ।
कोई कहता है कि परमात्मा पुरूष है तो कोई मानता है आघ शक्ति पराम्बा को, कोई निराकार परमात्मा को मानता है तो ओई सगुण देवी-देवता को,
यह सब देखकर आध्यात्म व ईश्वर प्राप्ति के मार्ग पर चलने वाला भ्रमित हो जाता है।
सभी कहते है कि हम जो कहते है उसे मानों तथा विश्वास करों । सच्चा रास्ता वहीं है जो हम बता रहे है।
कई निराकार परमात्मा को मानने वाले तो यहाँ तक कह देते है कि निराकार परमात्मा के सिवाय किसी देवी-देवता,तथा राम,कृष्ण,महादेव,रामदेव बाबा,साई बाबा,बुद्ध,महावीर,गुरू नानक आदि को भगवान मत मानों।
कोई परमात्मा को कण-कण में व्याप्त मानता है तो कोई निराकार होते हुए भी परमात्मा को सर्वव्यापी नहीं मानता तथा कोई आत्मा को बुरी आत्मा तथा अच्छी आत्मा में बांटता है।
तो कोई कहता है आत्मा पवित्र ही होती है उसे कोई अशुद्धि छु ही नहीं सकती क्योकिं आत्मा अजर-अमर है।
कई व्यक्ति आध्यात्मिकता की ओर इसलिए आकर्षित होते है कि वह मोक्ष प्राप्त करना चाहते है तथा कई व्यक्ति आध्यात्मिकता की ओर डर के कारण आकर्षित होते है वे स्वर्ग में जाना चाहते है तथा नरक जाने से ड़रते है।
कई धर्म वाले लोगों को डराते है कि यदि तुमने ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया तो तुम्हे नर्क में जाना पड़ेगा।
कई लोग ऐसी शक्ति प्राप्त करना चाहते है कि वह चमत्कार कर सके,लोगो के बीच उनका सम्मान बढ़े,वह जिसे चाहे वश में कर सके। कई व्यक्ति बिना श्रम के धन कमाना चाहते है।
कारण कोई भी हो सकता है । परन्तु जब लोग आध्यात्म की ओर आकर्षित होते है तो जो भी गुरू उनकें सम्पर्क में आता है या
बचपन से उनकें मस्तिष्क में जो मेमोरी भरी हुई है उसकों सत्य मानते हुए वह मार्ग पकड़ता है उसके मस्तिष्क में जो सूचनाए भरी हुई है उसी को सत्य मानता है तथा अन्य को गलत मानता है ।
कभी-कभी तो व्यक्ति छद्म वेशधारी गुरूओं के सम्पर्क में आ जाता है। तथा सच्चाई सामने आने पर निराश होता है ।
कई व्यक्ति तो छद्म वेशधारी गुरूओं से ठगे जाने पर जीवित गुरूओं को मानने से इनकार कर देते है तथा हनुमानजी, शिव आदि देवों को ही अपना गुरू मान कर साधना प्रारम्भ कर देते है ।
कैसे जाने शक्तियों को-
• आप किसी भी धर्म को मानते हो ?
• आप किसी को भी गुरू मानते हो ?
• नास्तिक हो ?
आप सभी का मैं “जीवन-दर्शन” में हृदय से स्वागत करता हूँ तथा आप सब में स्थित परम् गुरू को में प्रणाम करता हूँ।
ऊँ श्री गुरूवे नम:
आप किसी भी धर्म,मत,संप्रदाय को मानते हों या आपके विचारों का मैं स्वागत करता हूँ तथा आप सब में एक बात समान है कि आप सब मानव है।
मैं पहले भी कह चुका हूं कि जितने भी रास्ते प्रचलित है वह सभी सत्य है क्योंकिं उन परमात्मा प्राप्ति के रास्तों को बतलाने वालों ने पहले स्वयं अनुभव किया फिर लोगों को अपना अनुभव बाँटा।
यदि तुम जो क्रिया या विधी कर रहे हो उससे तुमहे मानसिक शांति प्राप्त है तो वह विधी तुम्हारे लिए श्रेष्ट है
तुमने जो गुरू बनाया है उससे मानसिक शांति प्राप्त है तो तुम सही चल रहे हो विश्वास रखों एक समय ऐसा आएगा जब आप उस परम् सत्य को समझ जाओगे तब सारे प्रश्न स्वत: ही समाप्त हो जाएंगे।
कोई भी शक्ति अच्छी या बुरी नहीं होती उस शक्ति के उपयोग पर उसकी बुराई या अच्छाई निर्भर करती है।
यदि तुम्हारे पास बंदूक है तथा उससे तुम मोहल्ले वालों को डराते हो तो वह शक्ति बुरी समझी जाएगी तथा ड़कैतों से मोहल्ले की सुरक्षा के लिए तुमने बंदूक उठाई तो तुम हीरो व आपकी शक्ति अच्छी समझी जाएगी।
कई व्यक्ति मन की एकाग्रता साधकर ऐसी शक्ति प्राप्त कर लेते है जिससे दूसरो का अहित कर सके तथा ये लोग सिद्धयों के माध्यम से इतने दबंग बन बैठते है कि लोग इनसे ड़रने लग जाते है
आये दिन ऐसे विज्ञापन अखबारों में छपते रहते है कि किसी भी प्रकार की समस्या का निदान.वशीकरण,मोहन व शत्रुमारण आदि विभिन्न क्रियाएं वे पैसा लेकर करते है लोग उनकें चंगुल में फँसकर धन व समय व्यर्थ में गंवाते है।
मेरा उन साधकों से नम्र निवेदन है कि अपनी शक्ति का रचनात्मक उपयोग करे । अपनी शक्ति के बल पर आप अपने पास आने वाले व्यक्तियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसी अन्य लोगों पर शक्ति का प्रयोग न करे बल्कि उस शक्ति का उपयोग लोगों की भलाई के लिए करे।
अपने पास आने वाले व्यक्तियों के मन को मजबुत करे उनके आत्मविश्वास के बढ़ाये ताकि आपके पास आने वाले लोगो का भला हो।
आपके पास आने वाले लोगो पर किसी ने तंत्र प्रयोग किया हो तो उसे दुर करो अपनी शक्ति व आशीर्वाद से उनका भला करों परन्तु दुसरों का अहित न करे।
यदि आप अपने पास आने वाले लोगों की स्वार्थ पुर्ति के लिए दुसरों का अहित करोगें तो उसका फल आपको भी भोगना पड़ेगा।
आप में उपस्थित परम् गुरू को में प्रणाम करता हूं आप स्वयं शिव स्वरूप है अत: सभी मानव आपका ही स्वरूप है फिर आप कैसे किसी का अहित कर सकते है।
व्यक्ति स्वयं कैसे अपने किसी अंग को नुकसान पहुंचा सकता है मैं तो छोटा सा सेवक मात्र हूं मै आपको ज्ञान नहीं दे रहा परन्तु जब अखबारों में ऐसे विज्ञापन देखे तो मानवीय संवेदना के कारण मेरा मन द्रवित हो उठा ।
मैं आप में उपस्थित परम् गुरू से प्रार्थना करता हूं कि आपका इष्ट आपको सही मार्गदर्शन दे तथा धरती को स्वर्ग बनाने में आप अपनी शक्ति का प्रयोग करे ।
अन्त में आप से क्षमा मांगते हुए अपने शब्दों को विराम देता हूं।
दोस्तों हमारी पोस्टों की समय-समय पर जानकारी पाने के लिए जीवन दर्शन को सब्सक्राइब करिए…….
बहुत खूब। आध्यत्म का गहरा दर्शन
वास्तव मे पढ़ने के बाद और जानने की ईच्छा होती हैं।