साथियों क्या आप भी ये मानते है कि सुख और दुख एक साथ रहते है…जैसे दिया तले अंधेरा होता है वैसे ही सुख और दुख साथ रहते है वो आप पर है कि आप सुख अनुभव करते हो या दुख अनुभव करते हो..
क्या सुख और दुख एक साथ रहते हैं ?
हर किसी बात के दो पहलू होते है जिसमें सुख और दुख दोनो होते है… पर वो हम पर निर्भर करता है कि हम सुख को अनुभव करे या दुख को…
हमारे जीवन में कई बार धर्म संकट की स्थति उत्पन्न हो जाती है..पर उस धर्म संकट की स्थति को समझने की आवश्यकता होती है…
हर किसी भी परिस्थिति के दो पहलू होते है…सही और गलत…
जैसे हम अगर कांच के पात्र में चाय पीते है तो वो जल्दी ठंड़ी हो जाती है वो हमें अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी हो सकता है हमें आराम से और अच्छे से चाय पीने की इच्छा हो…
पर वहीं चाय अगर हम स्टील के पात्र में पीते है तो वो लम्बे समय तक गर्म रहती है..पर अगर हमें कहीं जाना है तो हम सोचते है कि काश ये चाय थोड़ी जल्दी ठंड़ी हो जाए जिससे हम जल्दी पी सके और निकल सके…
इसी प्रकार समय का चक्र भी होता है जिसमें हम परिस्थिति के अनुसार ही सोचते है पर असल में कोई भी चीज़ गलत या सही नहीं होती अर्थात चाय कांच के पात्र में पीएंगे तो हम आराम से चाय पी सकते है और स्टील के बर्तन में भी लम्बे समय तक चाय का आनंद ले सकते है…
बस केवल समय का चक्र है समय काउस समय क्या परिस्थिति उत्पन्न करता है उस पर है….
अगर हमारा समय अनुकूल है तो हमें स्टील के बर्तन की चाय अच्छी लगेगी और अगर हमारा समय अनुकूल नहीं है तो हमें कांच के बर्तन की चाय अच्छी लगेगी…
साथियों मेरी इस बात से आप क्या समझे… शायद आपको मेंरी ये बात थोड़ी हज़म नहीं हुई होगी…मैं आपको साफ तौर पर समझाता हूँ…जीवन में कोई भी परिस्थिति हो हमेशा समान रूप से ज़िन्दगी को जीना चाहिए किसी भी बात में ना ही सुख का अनुभव करे और ना ही दुख का सभी को एक रूप में ले…और कर्म करते जाए..
ना ही सुख में ज्यादा सुखी और ना ही दुख में ज्यादा दुख का अनुभव करे.
बस समस्याओं से लड़ने की आवश्यकता है और समस्याओं को ज़ड़ से कैसे खत्म करना है उसका उपाय ढ़ुढों..आपको सफलता जरूर मिलेगी…
धन्यवाद…
Awesome post, bilkul sahi kaha
Great thinking…??…well written…
Thanks
Nicely written….great thinking?