कभी कभी ना चाहते हुए भी हम किसी भी बात को लेकर या किसी व्यक्ति को लेकर अपने एक तरफा विचार रखते है।
जो हमारे लिए और उसके लिए सही नहीं होते है।
एक उदाहरण देता हुँ जब हमें कोई कुछ भी कहता है तो हो सकता है हमें उनकी बात बुरी लगे पर तुरंत इसी समय इसी बात पर अपना रिएक्शन कभी ना दे। उस बात को समझने की कोशिश करे की आखिरकार उसने ऐसा कहा तो उसकी वजह क्या रही होगी ।
सकारात्मक सोच कैसे बनाये ।Think positive in hindi
मै ऐसा नहीं बोल रहा की कोई गलत बोले तो उसका जवाब मत दो.. वो तो देना चाहिए पर कभी-कभी हमें कोई व्यक्ति अगर कुछ कहता है वो अनजाने में भी हो सकता है।
शायद उसे नहीं पता होगा कि उसने क्या कहा और उस बात का आप पर क्या असर हुआ।
बहुत सी बार हम जब भी कुछ बोलते है वो हमारे हिसाब से या हमारी सोच के हिसाब से होता है पर आगे वाले की सोच क्य़ा है वो हम नहीं जानते है।
लोगो के हिसाब से अपनी सोच रखे-
जैसे हम कोई सकारात्मक मज़ाक करते है पर अगर सामने वाला व्यक्ति नकारात्मक है तो वो उस मजाक को नकारात्मक ढंग से लेगा। पर उस समय वो आपके सामने हंसेगा भी पर हो सकता है उसे अंदर ही अंदर उस बात का बहुत बुरा भी लगा हो पर वो किसी कारणवश अपने सामने ना बोल पाए।
इसलिए कभी भी किसी को एकदम से गलत और एकदम से सही मत मान लो।
किसी को समझने में या किसी के बारे में कोई धारणा बनाने में थोड़ा समय लिया करो।
और मेरी मानो तो किसी के बारे में कोई भी धारणा बनाने की कोई जरूरत ही नहीं है केवल अपना सोचो।
बाकी प्रभु पर छोड़ दो।
धन्यवाद