how to change luck by jivandarshan

भाग्य को कैसे बदले (how to change luck in hindi)

how to change luck in hindi – आप जैसा सोचते है,महसुस करते है तथा विश्वास करते है वैसे ही आपके मन ,शरीर तथा परिस्थितियों का निर्माण होता है। प्रारम्भ में कुछ भी नहीं था तब परमात्मा ने सोचा की में एक से अनेक हो जाऊं उनकें संकल्प से ही इस ब्रह्माण्ड़ का निर्माण हुआ। आप भी उस परमात्मा के अंश है अर्थात आपकी आत्मा में वहीं गुण विघमान है जो परमात्मा में है।

यदि आप अपनी आत्मा का अनुभव कर लेंगे तो आपको परमात्मा का भी अनुभव हो जायेगा। परमात्मा ने तो सबको बराबर दिया है परन्तु आपकी जैसी सोच होगी वैसा आप प्राप्त करेंगे।

समान परिस्थिति में बड़े हुए भाइयों में कोई भाई तो सफलता की बुलंदी छुता है जबकि किसी के लिए दो टाइम की रोटी जुटाना भी मुश्किल होता है

जब उनसे इसका कारण पुछते है तो वह भाग्य को दोष देते है लोगों ने ऐसी धारणा बना रखी है कि वे भाग्य के हाथो कठपुतली मात्र है वह कितनी भी मेहनत करे तो भी उनकों उतना ही मिलेगा जो भाग्य में है जबति कई लोगो का मानना है कि भाग्य कुछ नहीं होता जीवन को बदलने का प्रयत्न करोगे तो निश्चित ही बदल लोगे।how to change luck in hindi

भाग्य के भरोसे बैठे रहे तो असफल हो जाओगे।

तुलसीदास जी ने भी कहां है कि “सकल पदारथ है जग माही,करमहीन नर पावत नाहीं” इस दोहे को भी दोनों प्रकार के लोग अपनी तरह से व्याख्या करते है एक समुह कहता है कि दुनियां में सभी पदार्थ है परन्तु जो करमहीन है

अर्थात भाग्यहीन है ऐसा व्यक्ति उसको प्राप्त नहीं कर सकता जबकि दुसरा समुह कहता है कि दुनियां में सारे पदार्थ है परन्तु जो करमहीन है अर्थात कर्म या प्रयत्न नही करता ऐसा व्यक्ति उसे प्राप्त नहीं कर सकता।

वास्तविकता में भाग्य की तथा कर्म प्रयत्न की जीवन में जो कुछ घटित होता है उसमें विशेष भुमिका होती है हम पुनर्जन्म के सिद्धान्त को मानते है तथा हमारा कर्म जैसा होगा वैसा इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में अपने अच्छे या बुरे कर्मो का फल निश्चित भोगना होगा अर्थात हमारा अच्छा या बुरा कर्म ही भाग्य को बनाता है।

यदि हम अच्छे ही अच्छे कर्म करे सफल होने के लिए अपनी पुरी इच्छा शक्ति लगा दे तो प्रारब्ध में परिवर्तन अर्थात भाग्य में परिवर्तन करना संभव है।

आपके भाग्य विधाता आप स्वयं है।

व्यक्ति अपने प्रयत्नो द्वारा भाग्य को बदल सकता है।जैसे सामान्य व्यक्ति है जो अपने आपको शरीर मानता है वह वैदेही बन जाय अर्थात आत्मा का अनुभव कर ले तो वह अपने प्रारब्ध(भाग्य) को बदल सकता है।

परन्तु आत्मसाक्षात्कारी संत प्रारब्ध(भाग्य) को बदलने की क्षमता होने के बावजुद भी अपने भाग्य को नहीं बदलते तथा ऐसा व्यवहार करते है जैसे वह भाग्य के हाथों कठपुतली हो।how to change luck in hindi

किसी व्यक्ति के भाग्य में एक लाख रूपया मिलना लिखा है तथा वह व्यक्ति भाग्य के भरोसे बैठा रहे अर्थात प्रयत्न(कर्म) न करे तो उसको हो सकता है एक,सौ या हजार रूपया ही प्राप्त हो परन्तु अपनी पूर्ण शक्ति लगाकर पूर्ण प्रयत्न करे तो व्यक्ति पुरा लाख रूपया प्राप्त कर सकता है।

इसी प्रकार किसी व्यक्ति के भाग्य में लिखा है कि उसकीं एक्सीड़ेंट में मौत हो जायेगी परन्तु वह व्यक्ति अच्छे कर्म करे तो उसकी जान बच सकती है ऐसे उदाहरण है जैसे सावित्री द्वारा अपने पति को ज़िन्दा करना उसके पति के भाग्य में मौत लिखी थी परन्तु सावित्री के पतिव्रत धर्म के कारण विघाता को भाग्य बदलना पड़ा।

भाग्य का भी अस्तित्व होता है परन्तु अपने कर्मो के कारण भाग्य बदला जा सकता है। होलिका को वरदान प्राप्त था तथा हमेशा वह अग्नि स्नान करती थी अर्थात उसके भाग्य में लिखा था कि वह अग्नि से कभी नहीं जलेगी परन्तु उसके बुरे कर्मों के कारण वह अग्नि में जल गई।

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