हम कई बार जाने अनजाने में अपनी खासियत या अपनी अच्छी बातो को दुनिया के सामने कुछ ज्यादा ही बता देते है।
हम कभी अपने रिश्ते की बातें ,अपने काम की बातें ,अपनी खूबियों की बातें लोगों के सामने जाहिर करते है।
या अपने पास किसी भी चीज़ को दुसरो को दिखाते है।
असल में ये गलत नहीं है पर लोग आपसे इन्हीं बातों के लिए ईर्ष्या करने लगते है।
मैने कई बार देखा है कि लोगों के अंदर कुछ नही है फिर भी शेखी मारने में बिलकुल पीछे नहीं रहते। होता कुछ नहीं है फिर भी ऐसा दिखाते है मानो उनसे ज्यादा होशियार कोई नहीं है पर असल में वे ये नहीं जानते कि एक छोटा बच्चा भी उनसे ज्यादा समझदार होता है।
श्री सत्यनारायण भगवान कथा – प्रथम अध्याय (Shri Satyanarayan Katha Pratham Adhyay)
आजकल लोग अपने झुठे अहंकार को सिद्ध करने के लिए किसी भी हद तक चले जाते है जिसमें उनका बहुत बड़ा नुकसान क्यों ना हो जाए।
साथ ही कुछ लोग अपनी की हुई मूर्खता को लोगों से भी शेयर करते है ओर उन्हें भी वही गलती करने के लिए उकसाते है.
ऐसे लोगों से जरा बच कर रहे,हमें कोई भी काम अपनी सुझ-बुझ से करना चाहिए ना कि किसी की बातों को सुनकर ।
सुनो सबकी करो मन की।
हमे कोई भी काम या कोई भी फैसला दुसरों के कहने पर नहीं लेना चाहिए । हमें हर फैसला बड़ा सोच समझकर लेना चाहिए . जिससे बाद हमें कभी भी उसका अफसोस ना हो।
कुछ लोग खुद को सबसे श्रेष्ठ समझने लग जाते है उन्हें ऐसा लगता है मानो उनसे श्रेष्ठ कोई और है ही नहीं.
ऐसे लोग आपको बिन मांगे सलाह देंगे.आपके किए हुए काम को गलत ठहराएंगे। उनको ऐसा लगता है कि वही सही है पर मुझे लगता है ऐसे लोग कुएं के मेंढक के समान है। उन्होंने दुनिया देखी ही नहीं है।
उनके आस पास का ज्ञान ही उनके लिए सब कुछ है।
कई बार लोग आपके निर्णय को गलत सही ठहराते जाएंगे पर आपने जो भी सोचा के उसके आधार पर ही आपको काम करना है और पूरी मेहनत करनी है नतीजा क्या होगा वो परमात्मा पर छोड़ देना है।