Prarthana in hindi – साथियों …..कई साथियों के सवाल है….हमें जो चाहिए उसके लिए प्रार्थना भी करते है….पर इसके बावजूद भी कुछ नहीं होता….यही नहीं कई बार तो समाधान के बजाय समस्या और बढ़ जाती है…..ऐसे में हमारा विश्वास ही डगमगा जाता है ………
आज इसी पर बात करेगे….हालाकि पहले भी प्रार्थना पर पोस्ट लिख चुके है…..साथियों प्रार्थना को गहराई से समझना होगा….
आपसे यही अनुरोध है.कि आप जब तक पोस्ट पूरी ना पढ़ ले तब तक इस पोस्ट से जुड़े रहे….पढना यानि इसका एक एक शब्द अपने भीतर ना उतार ले….शांतचित होकर … एक बार पढ़े… ना समझ आये तो दुबारा पढ़े….और पूरा समझ ले तो इसको दो घंटा और दे….
यानि अपने साथियों और मित्रो को अधिक से अधिक पोस्ट करे…..इस पोस्ट की बाते उन्हें समझाए….जुड़ना और जोड़ना ही प्रार्थना की साधना है. …..अब पूरा ध्यान दे….
यही प्रार्थना की साधना है..(Prarthana in hindi )
साथियों आपसे इतना की कहेगे की प्रार्थना यानि अपनी बात पूरे निश्छल भाव से अपने भीतर बेठे जगदगुरु तक पहुचना……यह ध्यान और साधना की राह का पहला कदम मात्र है……
अक्सर होता यह है कि हम पाना तो सब चाहते है…..पर सवाल और संशय साथ में जोड़ते रहते है…..मसलन…. है जगदगुरु हमें सेहत देना….लक्ष्मी देना…..कारोबार में उन्नति देना……यही प्रार्थना करते है ना और वो पूरी नहीं होती ….क्यों …
कारण यह की हम प्रार्थना के साथ ही संशय भी करते है….किन्तु, परन्तु, कैसे, कब आदि…..की बाध्यता जोड़ देते है…और रोज जीवन पथ के समाधान की प्रार्थना जगदगुरु यानि अपने इष्ट के समक्ष दोहराते है…..यह संशय नहीं तो और क्या है…..Prarthana in hindi
एक तरफ तो हम कहते है कि जगदगुरु और हमारे इष्ट अंतरयामी है…..इस गहरी बात को समझे ..जगदगुरु और इष्ट हमारे भीतर ही है…..जो आपके भीतर का दर्द है वो उनको पता है…….फिर भी हम उनसे रोज फ़रियाद करते है….यह क्या है…..यह तो संशय है ना….अब आप बताये संशय के साथ साधना और प्रार्थना कैसे फल देगी….
….आप अपने को देखे न घुटनों में, कमर में, सर में दर्द है, बीमार है….तो हर पल दर्द और बिमारी का ही चिंतन करते है…..जबकि यह आधा सच भी नहीं है….
सच तो यह है की घुटनों के अलावा सारा शरीर स्वस्थ है…..पर हम पूरे शरीर के बेहतर स्वास्थ्य को भूल कर सिर्फ एक दर्द के साथ जीने की नियति बना लेते है….
हर पल और सबके सामने उस दर्द का चिंतन करते है…..और यही कारण है कि वो दर्द नासूर बन कर हमारे साथ चिपक सा जाता है…इसके जिम्मेदार भी हम ही होते है…..पर अनजाने में. …रोज जगदगुरु से ठीक होने की प्रार्थना करते है….मन्नते लेते है…..
समय सीमा में बांधते है…..और नतीजा आपके सामने है….वो दर्द कई तरह के इलाज और मन्नतो के बाद भी ठीक होने के बजाय बढ़ता जाता है…..
इसी तरह आर्थिक परेशानी पर भी आप देखे …हर पल आर्थिक संकट का ही चिंतन रहता है…..भीतर ही भीतर कर्ज की परेशानी का दर्द रहता है….
सेहत और सम्पति के यह दो द्रश्य को आप अपने से जोड़कर देखे ….दोनों में आप पायेगे कि हमारा चिंतन तो हर पल समस्या पर ही है…..एक पल भी समाधान की और देख नहीं पा रहे है…..
साथियों इन सब का समाधान साधना है….स्थूल शरीर की जरूरतों में बाधा हमारा सूक्ष्म शरीर ही है…..विचारो का नकारात्मक चिंतन सूक्ष्म शरीर तक पहुचता है…और यही से दर्द उभर कर स्थूल शरीर को दर्द देते है…..
……आखिर यह सब क्या है….ना चाहते हुए भी डर, असुरक्षा, बीमारी, आर्थिक परेशानी, बच्चों का भविष्य ….क्यों यह सब हमें परेशान करते है….
यहाँ थोडा सा आप अपने को देखे….आप भीतर से सब कुछ ठीक करना चाहते है…..पर बाहर से विरोध हो जाता है…..यह स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर का द्रंद है…..
……साथियों इन सब का समाधान …..जीवन आनंद साधना शिविर है ……दो दिन के साधना शिविर में खुद को समझने की साधना होगी……जो हम चाहते है….उसका रास्ता ही समझना है….
सेहत में आनंद, सम्पति में आनंद, जीवन में आनंद और परिवार में आनंद के सूत्रों को ही तो समझना है……….स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर को समझना है…..दोनों का स्वर एक करना है…..जो हम चाहते है….वो पूरे भाव से हो …..
और आप सब से जुड़ना ही हमारी साधना है…
आपसे इतना ही कहेगे कि आपके सिर्फ दो दिन चाहिए……और कुछ नहीं…. आपसे गुजारिश है कि आप अपने और अपनों के लिए सदैव अच्छा और सच्चा विचार करे….
सबकी शांति और सेहत की प्रार्थना करे…..आप अपने को जिस रूप में देखना चाहते है…….उसे विचारो के जरिये साकार रूप में देखे और आनंद भाव से मुस्कराए………इन्ही पलों को जिए…..आपको स्वत ही आनंद मिलना ही है…….
….ॐ गुरवे नमः……
धन्यवाद
दिव्यराज दीपक