ॐ गुरवे नमः…..आज साधना से जुड़े सवालों से अपनी बात करुगा…….आज इन्ही पर चर्चा करनी है…..आप साधना पथ को समझना चाहते है तो आपसे गुजारिश है की इस पोस्ट पर दस मिनट पूरा ध्यान दे……कुछ सवाल जो आप सभी के जेहन में होगे….
साधना करने से क्या होगा
साधना करने से क्या होगा…क्या हमारा क्रोध, डर, अनहोनी का भय…संशय, रिश्तो में तनाव, धन का संकट और शरीर की बीमारियाँ दूर हो जायेगी और हो जायेगी तो कैसे होगी ….इसके अलावा बच्चे कैसे पढेगे, परिवार में शांति कैसे आयेगी….जैसे सवाल भी खूब आ रहे है….यह सभी सवाल सामान्य गृहस्थ से जुड़े लोगो के है….
… कुछ ऐसे साथी भी है जो पिछले कई सालो से साधना कर रहे है…..कई गुरुजनों का सानिध्य प्राप्त किया….पर अभी भी वे सवालों के भवर में ही है..…उनके सवाल कुछ एस तरह के है…साधना से दैवीय शक्तिया जाग्रत कैसे होगी….चक्र और कुंडलिनी का जागरण कैसे होगा….
…साथियों …आपसे बहुत छोटी बात करनी है….क्योंकि बाते भी सवाल ही है….कभी ख़त्म नहीं होती….एक के बाद दूसरी उठती ही रहेगी…..
साधना और ध्यान …क्या है
आपसे इतना कहू की आप हर पल ध्यान करते है….तो एक बार आपको आश्चर्य होगा….पर सच यही है….दरअसल हम हर रोज पर पल ध्यान करते ही रहते है….बच्चे का काम पढना है…
वो पढाई और पुस्तको में ” ध्यान ” देते है तो परिणाम बहुत अच्छा…और इनके बजाय बच्चो का ” ध्यान” दोस्तों, गपशप मोबाइल जैसे कई घटकों में बटा तो पढाई में गड़बड़….” ध्यान” कई जगह बंटा …छितरा सा गया…..अब ऐसे बच्चो पर हम कमजोर, लापरवाह का टैग लगा देते है….
और यही गड़बड़ हो जाती है….अब होता क्या है …एक जगह ” ध्यान ” लगाने की जरुरत होती है पर उसका ” ध्यान ” बंटा हुआ है…..हम एक जगह लाने के बजाय उस पर पहरे लगा देते है…..नतीजा हर घर में सामने है…..
बच्चो का उदाहरण इसलिए दिया कि यह घर घर की कहानी है….
..इसी तरह अपनी नौकरी में मन नहीं लगना, परिवार में तनाव, सम्पति का संकट, एक अनजाना डर जैसे कई सारे सवालों के समाधान नहीं मिलते है …..हां हम इनके समाधान जरुर चाहते है…..
आप अपने बारे में देखे….हम चाहते है कि सब हमारा सम्मान करे….घर में खुशहाली हो….बच्चे आदर्श कीर्तिमान स्थापित करे…..नौकरी या काम काज में मन लगा रहे….डर के बजाय विशवास हो…..पर यह सब होता नहीं है…
जितना ज्यादा चाहते है उतना तनाव बढ़ता है……..अब आपको कहे कि इन सब के जिम्मेदार भी आप ही है….आप ही इन सब का आव्हान कर रहे है…..अब तक आपका ” ध्यान ” और साधना इसी डर, तनाव, संकट अनमना भाव को पाने की ही थी ….
और जो आप ” ध्यान ‘ कर रहे थे वो ही आपके स्थूल शरीर के साथ घट रहा है……जी हां…यही तो साधना और ध्यान है….जो हमें चाहिए ठीक उससे उलट हमारा ध्यान है….और जो ध्यान करेगे वो ही तो मिलना है…..
साधना और ध्यान
साधना और ध्यान….यानि स्थूल शरीर को जो चाहिए .…सूक्ष्म शरीर भी उसी का ध्यान करे….दरअसल यही भीतर और बाहर का द्रंद है….यही से आधे–अधूरे कामो की उपज होती है…..
हम रोज रात को सुबह जल्दी उठने का प्रण करते है….और रोज देर हो ही जाती है….हम प्रण में संशय के बीज रोपित करते रहते है…..
साथियों साधना और ध्यान करना नहीं है …समझना है
साथियों साधना और ध्यान करना नहीं है …समझना है….हमें कैसे जीना है….कैसे बच्चो में संस्कार देने है…..इस साधना को समझना है …..सेहत, सम्पति और विशवास के सभी सूत्र भी हमारे भीतर ही है….
बस इसको पाने के पथ को समझना है……आध्यात्म पथ की यह आनंद भरी शुरुआत है……यहाँ अपना अपने से ही परिचय है…..एक आपका स्थूल शरीर है और उसकी आपके भीतर बेठे सूक्ष्म शरीर से पहचान है….. सच में आप प्रेम ,शांति, सरलता, सहजता, सेहत, सम्पति, सकारात्मकता के बीज अपने भीतर बोना चाहते है तो
बगैर सवाल श्रद्धा, विशवास और पूरी आस्था से अपने साथ जुड़ जाये.. और….
आपसे इतना ही कहेंगे कि हम भी माध्यम मात्र है…..देने वाले जगदगुरु ही है और वो हम सब के भीतर ही बिराजे हुए है…..बस इसी को समझना है…बस इतना ही कहेगे आओं तो सिर्फ समाधान पाने ही आना….भाव समाधान के होगे तो समाधान मिलना ही है…..
चक्र शोधन और कुंडलिनी जागरण को भी समझेगे ….नाद और त्राटक का भी स्वाध्याय होगा……आनंद के परम चरम परमानन्द तक भी जाएगे…..यह कारण शरीर की यात्रा है…..और इससे पहले दोनों शरीरस्थूल और सूक्ष्म ठीक से एक स्वर में आ जाये……
अपने जीवन में, परिवार में, सेहत में, सम्पति में आनंद की बरसात हो…..हर दिन हो उल्लास भरा एक उत्सव सा…….आपसे अनुरोध है की आप इस पोस्ट को अधिक से अधिक अपने साथियों संग शेयर करे…..यह भी एक साधना है….
जितने पवित्र भाव अपने साथियों को आध्यात्म पथ दिखाने के होगे….उतनी ही अपनी आध्यात्मिक उन्नति होनी है……क्योकि आध्यत्म भी विज्ञान ही है….यहाँ भी क्रिया की प्रतिक्रिया ही है…..
जिस भाव से आप दुसरो को जो दोगे वहा से उसी मात्रा में उसी भाव को लौटकर आपको मिलना ही है…… और जुड़े ….आनंद ध्यान अमृत…..ग्रुप …से ॐ गुरवे नमः…
धन्यवाद
दिव्यराज दीपक